उज्ज्वला से कितना हुआ महिलाओं को फायदा?

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना को शुरू हुए दो साल पूरे हो चुके हैं. केंद्र सरकार ने भी अपने चार वर्ष पूरे कर लिए हैं. इस योजना का आकलन करने के लिए यह अच्छा समय है.

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) को पीएम ने 1 मई, 2016 को बलिया, उत्तर प्रदेश से शुरू किया था. इस योजना के तहत केंद्र सरकार ने मार्च 2019 तक देश में गरीबी रेखा के नीचे आने वाले पांच करोड़ गरीबों को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन बांटने का लक्ष्य तय किया था.

अप्रैल 2018 तक 3.5 करोड़ से अधिक मुफ्त कनेक्शन दिए जा चुके हैं. उज्ज्वला योजना की लोकप्रियता को देखते हुए केंद्र सरकार ने मार्च 2020 तक इस योजना के लक्ष्य और दायरे में बदलाव किया है. आठ करोड़ कनेक्शन का नया लक्ष्य रखा गया है.

इस योजना की रूपरेखा 2015 में ही ‘गिव इट अप’ के रूप में तैयार कर दी गर्इ थी. 27 मार्च, 2015 को पीएम ने आर्थिक रूप से संपन्न एलपीजी कनेक्शन धारकों को सरकार से मिलने वाली सब्सिडी छोड़ने का निवेदन किया था.

नतीजतन, 1.13 करोड़ से अधिक लोगों ने आर्थिक सब्सिडी को छोड़ दिया. इस मामले में महाराष्ट्र सबसे आगे रहा. प्रदेश में 16.44 लाख लोगों ने सब्सिडी को ‘न’ कह दिया.

उज्ज्वला योजना के तहत केंद्र सरकार हर कनेक्शन पर 1600 रुपये का खर्च वहन करती है. जबकि प्रत्येक नए एलपीजी कनेक्शन पर 3100 से लेकर 3200 रुपये तक का खर्च आता है.

इसके बाद लाभार्थी परिवार को एलपीजी स्टोव और पहले सिलेंडर के लिए 1500 रुपये अपने पास से खर्च करने पड़ते हैं. इस योजना के तहत कुल 12,000 करोड़ रुपये से अधिक का सार्वजनिक निवेश शामिल है. पहले चरण में सरकार ने कुल 8000 करोड़ की राशि जारी की थी.

पिछले कुछ साल में एलपीजी क्षेत्र में बड़ी कामयाबी हाथ लगी है. नकली उपभोक्ता खत्म हुए हैं. सब्सिडी सही हाथों में पहुंच रही है. पहल जैसी योजनाओं के माध्यम से घरेलू गैस के वितरण और उपयोग में पारदर्शिता देखने को मिली है.

माना जा रहा है कि सब्सिडी को खातों में सीधे भेजे जाने से बिचौलियों और भ्रष्टाचार पर रोक लगी है. इस योजना से एलपीजी डिलीवरी सिस्टम को कारगर बनाने में मदद मिली है.

ग्रामीण महिलाओं के जीवन में इस योजना ने बड़ा बदलाव किया है. समय की बचत के साथ उनके स्वास्थ्य के लिहाज से भी यह योजना काफी लाभकारी है.

योजना के अंतर्गत गैस कनेक्शन पाने के लिए लाभार्थी महिला के नाम पर बैंक अकाउंट होना जरूरी है. इस योजना को सफल बनाने में जन धन योजना ने भी योगदान किया है.

प्रधानमंत्री जन धन योजना के आकड़ों के अनुसार, कुल 31.06 करोड़ खातों में से 16.37 करोड़ खाते महिलाओं के हैं. उज्ज्वला योजना ने महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में सरकारी पहल का प्रभावी असर दिखाया है.

हालांकि, इन उपलब्धियों के बीच एक बड़ी मुश्किल यह भी है कि गांव के लोग अब भी एलपीजी को खाना बनाने का प्रमुख ईंधन नहीं मानते हैं. गांवों में आज भी खाना बनाने के लिए लकड़ी और गोबर के उपले ज्यादा इस्तेमाल में लाए जाते हैं.

इन साधनों को गांव के लोग अधिक सस्ता और आसानी से उपलब्ध साधन के रूप में देखते हैं. प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत मुफ्त एलपीजी गैस कनेक्शन की सुविधा पाने वाले कर्इ लाभार्थी भी ऐसा ही सोचते हैं. एलपीजी को कुकिंग के लिए इस्तेमाल करने की खातिर लोगों में जागरूकता लाने की जरूरत है.

विक्रांत सिंह
(संस्थापक एवं अध्यक्ष, फाइनेंस एंड इकोनॉमिक्स थिंक काउन्सिल, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी)

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