एमएसएमई आर्थिक पैकेज: अर्थव्यवस्था के नए आकार की शुरुआत।

कोविड-19 के आर्थिक संकट से उबरने के लिए भारत ने जिस 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज की घोषणा की है, उसके पहले हिस्से में एमएसएमई सेक्टर के जिक्र ने यह बिल्कुल स्पष्ट कर दिया है कि भारत की वापसी छोटे उद्योगों पर निर्भर करेगी। भारत में इससे पहले जो सबसे बड़ी आर्थिक मंदी देखी गई थी, वह वर्ष 1991 का थी। लेकिन तब के और आज के संकट में बुनियादी अंतर है। 1991 में भारत खतरे में था और आज पूरी दुनिया खतरे में है। इसलिए ग्लोबल इकोनामी के सिद्धांत के आधार पर अर्थव्यवस्था को पुनः खड़ा नहीं किया जा सकता है। आज सरकार को बधाई देनी चाहिए कि उसकी आंख खुल गई है और उसने अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण को नीचे से शुरू करने का निर्णय लिया है।

(एमएसएमई सेक्टर के लिए राहत पैकेज का ऐलान)

वित्त मंत्री ने आर्थिक पैकेज की घोषणा के पहले चरण में एमएसएमई सेक्टर को तवज्जो देकर स्पष्ट संकेत दे दिए हैं कि आने वाला वक्त लोकल मार्केट और छोटी कंपनियों का होने वाला है। सूक्ष्म एवं लघु उद्योग को बढ़ावा देना भारतीय अर्थव्यवस्था में फिर से प्रतिस्पर्धा का लौटना होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ प्रमुख क्षेत्रों में बड़ी कंपनियों ने जो एकाधिकार स्थापित किया है, उसकी वजह से यह कंपनियां अकेले मुकाबला नहीं कर पा रही थी। लेकिन रोजगार के दृष्टिकोण से एमएसएमई सेक्टर भारत में कृषि के बाद सबसे अधिक महत्वपूर्ण समझा जाता है।

वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण जी ने पैकेज का एलान करते हुए यह स्पष्ट किया है कि सूक्ष्म एवं लघु कुटीर उद्योगों के विकास के लिए सरकार 6 बड़े कदम उठाने जा रही है। 

एमएसएमई सेक्टर के लिए जिन प्रमुख योजनाओं की घोषणा की गई है वह निम्नलिखित है-

1- एमएसएमई सेक्टर को बिना किसी गारंटी के तीन लाख करोड़ रुपये का लोन मिलेगा. वित्त मंत्री के अनुसार सरकार के इस कदम से 45 लाख एमएसएमई को फायदा पहुंचने वाला है.

2- एक साल तक एमएसएमई को कर्ज ना चुकाने की छूट होगी। इसके अतिरिक्त 100 करोड़ के वैल्यू वाली एमएसएमई यूनिट को लोन में राहत दी जाएगी।

3- संकट में फंसी एमएसएमई के लिए ₹20000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। वित्त मंत्री के अनुसार इससे 2 लाख एमएसएमई यूनिट को फायदा पहुंचने जा रहा है। विशेष बात यह है कि इसके अंतर्गत अतिरिक्त एनपीए का दबाव झेल रहे एमएसएमई भी कर्ज प्राप्त कर सकेंगे।

4- 50,000 करोड़ रुपए की व्यवस्था उन एमएसएमई के लिए की गई है, जिनमें आगे बढ़ने की प्रचुर क्षमता विद्यमान है। इसके अतिरिक्त 10000 करोड रुपए का फंड ऑफ फंड तैयार किया जाएगा और सरकार इक्विटी इन्फ्यूजन के जरिए भी मदद करेगी।

5- एक लंबे समय से चली आ रही मांग को स्वीकार करते हुए सरकार ने एमएसएमई की परिभाषा को बदलने का बेहतरीन निर्णय लिया है। इस कदम से कंपनियों को विस्तार करने के अवसर भी प्राप्त होंगे और उनका यह डर भी दूर होगा कि एमएसएमई के दायरे से बाहर निकलने पर उनको नुकसान हो सकता है। सरकार ने इस बार निवेश और टर्नओवर के आधार पर  एमएसएमई की परिभाषा को तय किया है.

1- सूक्ष्म उद्योग – 1 करोड़ तक निवेश और 5 करोड़ तक टर्नओवर (मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस दोनों तरह के उद्योगों के लिए)।
2- लघु उद्योग – 10 करोड़ निवेश और 50 करोड़ तक टर्नओवर ।
3- मध्यम उद्योग – 20 करोड़ निवेश और 100 करोड़ तक टर्नओवर ।

जिस तरीके से सन 1991 की आर्थिक मंदी में बड़े उद्योगों को लाइसेंस परमिट राज से मुक्ति देते हुए बड़े दरवाजे खोले गए थे, आज ठीक उसी तरह से सरकार ने एमएसएमई के लिए नए और वृहद दरवाजे खोलें है।

इस पूरे राहत पैकेज में जो एक तथ्य स्पष्ट नहीं हो सका कि जो तीन लाख करोड़ रुपए का कर्ज़ एमएसएमई सेक्टर को बांटा जाएगा, उस कर्ज की दर क्या होगी? कर्ज़ की दर सरकार तय करेगी या फिर बैंकों को नियमित प्रक्रिया के अंतर्गत ही तय करने का अधिकार होगा। भविष्य में सरकार अगर इन कंपनियों को और आर्थिक मदद के रूप में स्वआकलन के आधार पर टैक्स भरने की छूट और बिना किसी शर्त और पाबंदी के उत्पादन की इजाजत दे दे तो एमएसएमई सेक्टर देश में नई नौकरियों और मांग के रूप में एक नया स्वर्णिम अवसर ला सकता है।

क्योंकि इस पूरे संकट के अंत में वही जीतेगा जो इसके संकटों को अवसर बनाते हुए अपनी आने वाली अगली पीढ़ी को रोजगार और मांग सुनिश्चित करके देगा। यह आर्थिक पैकेज भारतीय अर्थव्यवस्था के नीचे से ऊपर (छोटे उद्योगों से बड़े) के प्रारूप में तैयार होने की पहली शुरुआत है।

(लेखक काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्र और फाइनेंस एंड इकोनॉमिक्स थिंक काउंसिल के संस्थापक एवं अध्यक्ष है)

2 thoughts on “एमएसएमई आर्थिक पैकेज: अर्थव्यवस्था के नए आकार की शुरुआत।”

  1. They steps taken by govt. is appreciable. But the govt. should also focus on increasing the demand of products. As there was economic slowdown in India before COVID-19 because of diminishing demand.
    Also the MSME are currently under a loan of 10 lakh crores and most of them will not think of taking new loans at current interest rates.

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