काउंसिल का दूसरा स्थापना दिवस।

प्रिय पाठक,

आपके निरंतर सहयोग के लिए सहृदय धन्यवाद !

इस कठिन घड़ी में काउंसिल ब्लॉग के माध्यम से जुड़े काउंसिल के सभी सदस्यों को और शुभचिंतकों को आज काउंसिल के स्थापना दिवस पर ढेर सारी शुभकामनाएं. काउंसिल का स्थापना दिवस हमें एक नया संकल्प, एक नई प्रेरणा और एक नया जरिया प्रदान करने का अवसर होता है. काउंसिल का दूसरा स्थापना दिवस एक ऐसे कालखंड में मनाया जा रहा है जब पूरी दुनिया कोविड-19 नाम के एक वैश्विक महामारी से लड़ रही है. चुनौतियों एवं अनिश्चितता से लड़ रहे पूरे विश्व में मानव जाति के ऊपर यह एक गंभीर अस्तित्व के संकट का रूप ले चुका है. हम सब नहीं जानते कि हमारी यूनिवर्सिटी कब खुलेगी और कब हम पूर्व की भांति एक साथ कक्षाओं में बैठकर अध्ययन-अध्यापन का कार्य करेंगे. यह कठिन दौर संपूर्ण व्यवस्था को बदलने जा रहा है.

हम-आप आज सबसे बेहतर कार्य जो कर रहें है वो यह है कि इस कठिन वक्त में अपने घरों में रहना, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना और सरकार के द्वारा जारी किए जा रहे हर दिशा-निर्देश का पालन करना है. काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्र के रूप में हम सब की यह जिम्मेदारी बनती है कि कम से कम अपने परिवार में इस संकट से बचने के लिए जारी दिशा-निर्देशों का शत-प्रतिशत पालन किया जाए. इससे बेहतर देशभक्ति और समाज के लिए हमारी कोई और प्रतिबद्धता नहीं हो सकती है. हम सब इस वक्त नियमों का पालन करते हुए एक सिपाही के रूप में अपने देश की हिफाजत कर रहे हैं.

जब आज के 2 वर्ष पूर्व फरवरी के महीने में मेरे मन में विचार आया था कि छात्रों के बीच में एक ऐसे समूह को बनाने की जरूरत है जो इस देश में बन रही सरकारी नीतियों पर, आर्थिक घटनाक्रमचक्रों पर, समाजिक चुनौतियों पर और हमेशा ही विकास के मुख्य धारा से दूर रहे ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर काम कर सके. शुरू के एक दो महीने इस पूरे आइडिया पर काम करने के बाद मैंने यह प्रस्ताव अपने कुछ चुनिंदा साथी और सीनियर के सामने रखा, ये वो लोग हैं जिन्होंने मुझे एक सामान्य छात्र से एक विशेष छात्र के रूप में सवांरा और निखारा था. विपिन भैया, अजातशत्रु त्रिपाठी भैया, शुभम केडिया भैया और आनंद भैया जैसे कुछ सबसे प्रिय सीनियर और अंबुज भारती, हर्ष सिंह, रूपेश यादव जैसे साथियों के समक्ष मैंने यह प्रस्ताव रखा था और इन्होंने प्रस्ताव पर बिना किसी एक आपत्ति के काम करने की पूरी इच्छाशक्ति दिखा दी थी.

एक लंबे चिंतन के बाद मैंने एक ढांचा और एक नाम सभी के सामने रखा था और कुछ मामूली बदलाव के साथ हम सब ने इसको स्वीकृति प्रदान की थी. तत्पश्चात 21 अप्रैल को हमने काउंसिल के पहले ग्रुप का निर्माण हॉस्टल के कमरा नंबर 80 में किया था. तब हम पांच लोग ही मौजूद थे. आगे चलकर हमारी काउंसिल की एक सबसे मजबूत कड़ी माने जाने वाले हर्ष सिंह ने काउंसिल के लोगो को तैयार किया था और तत्पश्चात अंबुज भारती ने काउंसिल का वेबपोर्टल तैयार किया था. पहले टीम के रूप में हम कुछ ही सदस्य मौजूद थे. बाद में कुछ जूनियर हमारे साथ आए और जिनमें से एक अखिल आज भी हमारे साथ मौजूद है.

जो हमारी पहली टीम बनी थी वह बिना किसी इंटरव्यू के, बिना किसी परीक्षा के, बिना किसी प्रारंभिक जानकारी के तैयार की गई थी. शुरुआती 1 वर्ष में जो हमने आधार बनाया, जो काम करने की पद्धति बनाई थी आज उसी का परिणाम है कि काउंसिल विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति के साथ-साथ तमाम केंद्रीय मंत्री, सरकारों में उपस्थित जनप्रतिनिधि, तमाम बड़े पदों पर बैठे लोगों के बीच में हम आज ससम्मान उपस्थित है.

हमने 100 से अधिक अलग-अलग विषयों पर आर्टिकल लिखें. 15 रिसर्च प्रोजेक्ट पर काम पूरा किया और वर्तमान में कुछ बड़े विषयों पर काम चल रहा है. मेरे लिए गांव सबसे पसंदीदा जगह और गांव का अध्ययन सबसे पसंदीदा विषय रहा है. इसी क्रम में हमने काउंसिल के बैनर तले “विलेज डेवलपमेंट प्रोग्राम” करके पूरी योजना चलाई. 10 से अधिक गांव में जाकर विभिन्न वर्ग से अलग-अलग तरीके से संवाद किया. महिलाओं के समूह से अलग, किसानों के समूह से अलग, युवाओं के समूह से अलग, सरकारी विद्यालयों पर अलग, सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर अलग, गांव के मनरेगा मजदूरों के साथ अलग और इस तरीके से हमने ग्रामीण अर्थव्यवस्था के मूल विषयों को किताबों से आगे निकलते हुए हकीकत में समझने का कार्य किया. आप गूगल करिए और प्रधानमंत्री के गोद लिए गांव जयापुर और नागेपुर की स्थिति पर हिंदी में आर्टिकल ढूंढिए, तो आप पाएंगे कि फाइनेंस एंड इकोनॉमिक्स थिंक काउंसिल के जरिए किए गए सर्वेक्षण के आधार पर लिखी गई रिपोर्ट गूगल पर सांसद आदर्श ग्राम योजना के संदर्भ में सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली रिपोर्ट में एक है.

प्रधानमंत्री जनधन योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना, प्रधानमंत्री सुकन्या समृद्धि योजना जैसे तमाम विषयों पर हमारे द्वारा किए गए शोध को संज्ञान लेते हुए देश के वित्त मंत्रालय ने हमें प्रशस्ति पत्र के साथ-साथ सम्मान पत्र प्रदान किया है. इस काम का परिणाम यह रहा कि मुझे और काउंसिल की मुख्य सलाहकार विपिन बिहारी राम त्रिपाठी भैया को संसद के नॉर्थ ब्लॉक में स्थित वित्त मंत्रालय में जाने का अवसर प्राप्त हुआ था. आज इन सभी सफलताओं के पीछे काउंसिल में मौजूद हर एक नया सदस्य और 2 साल से साथ काम कर रहा सदस्य भी पूर्ण रूप से भागीदार है. आज काउंसिल विभिन्न नदियों के मिलने के स्वरूप बना एक समुंद्र है. हमारे इस टीम में सिविल सेवा की तैयारी करने वाले छात्र, भविष्य में रिसर्च करने के लिए प्रतिबद्ध छात्र, कैट की तैयारी कर रहे छात्र, विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्र, विभिन्न सामाजिक संस्थाओं में काम कर रहे छात्र, तकनीकी शिक्षा ले रहे छात्र, प्रबंध की शिक्षा ले रहे छात्र आदि मौजूद है. इस तरीके से हमने विभिन्न धाराओं के बौद्धिक लोगों का एक मजबूत संगठन तैयार किया है.

लोग मुझसे अकेले में मिलने पर लगातार यह विषय मेरे सामने रखते रहे हैं कि आपकी काउंसिल में टीम को बहुत नजदीक से देखने पर कुछ अलग से मेंबर दिखते हैं. और यह सत्य भी है. जब भी संकाय में और विश्वविद्यालय में नए नामांकन होते हैं तो आज 2 वर्षों से बिना किसी एंट्रेंस रैंक की परवाह किए हम बड़ी ईमानदारी से उन लोगों की तलाश करते हैं जो ‘आउट ऑफ बॉक्स थिंकिंग’ वाले होते है. ऐसा नहीं कि सारे लोग बेहतर ही होते हैं. ऐसे बहुत से सदस्य हैं जिन्होंने काउंसिल में आने के बाद खुद को तराशा है.

पिछ्ले 2 वर्ष में हमने तमाम ऐसी चुनौतियां देखी जो असमान्य थी. तमाम प्रशासनिक, वित्तीय और भौतिक बाधाओं के बीच यह काउंसिल चलती रही. ऐसे भी अवसर आए जब काउंसिल को चला पाना और इसके दैनिक कार्यों की वित्तीय उपलब्धता को सुनिश्चित कर पाना संभव नहीं था. जब भी ऐसी समस्याएं हमारे सामने आई तो हमने पलट कर अपने साथ खड़े अपने जूनियर और अपने बाकी सदस्यों के कठिन परिश्रम को देखा और आज यह मालवीय जी का आशीर्वाद ही है कि कभी कोई कार्य नहीं रुका. मुझे भी नहीं पता चलता है कि कैसे चीजें समय के नजदीक आने पर पूर्ण होने लगती है. यह सब हमारे साफ नियति और विश्वविद्यालय के गौरव को बढ़ाने के लिए किए जाने वाले प्रयत्नों का ही परिणाम है.

हाल ही में हमने निर्णय लिया है कि काउंसिल विपिन भैया के नेतृत्व में अपने एक संविधान की रचना करने जा रही है. एक मजबूत टीम के रूप में हम अब उस जगह पर पहुंच चुके हैं, जहां काउंसिल का एक लिखित दिशानिर्देश होना जरूरी है. ऐसे और भी बहुत से विषय हैं जिन पर मैं जारी लाकडाउन में खुद काम कर रहा हूं. यह आने वाले वक्त में काउंसिल के जरिए ही लागू होने वाली नई योजनाएं होंगी.

हमने अब  काउंसिल के रूप में एक मजबूत बुनियाद तैयार कर ली है और अब इस बुनियाद को मजबूत करते हुए विश्वविद्यालय व्यवस्था को सच करने का सही समय आ चुका है. यह अपने आप में एक चिंतन का विषय है कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय में भारत की सबसे बड़ी कॉमर्स फैकल्टी होने के बावजूद भी उसी विश्वविद्यालय से 3 किलोमीटर दूर गांव में एक व्यक्ति को किसी सरकारी नीति के बारे में पता नहीं होता है. वहीं बगल के गांव में काम करने वाले किसान को खेती करने की सही प्रक्रिया का पता नहीं होता और वह भी तब जब भारत में चुनिंदा प्रतिष्ठित कृषि संस्थानों में एक काशी हिंदू विश्वविद्यालय में स्थित है. तो यह समय है जब हमें विश्वविद्यालय की व्यवस्था जो मालवीय जी का सपना था कि सबसे पहले राष्ट्रभक्ति के सपने को साकार करना होगा. जब हम इस गंभीर वैश्विक समस्या से निकलकर अपने-अपने कार्य स्थानों पर वापिस जाएंगे और जब हम सब विश्वविद्यालयों में एक साथ उपस्थित होंगे तब काउंसिल के मूल स्वभाव के अनुरूप कुछ नए और दूरगामी योजनाओं पर साथ काम करेंगे. कोविड-19 जैसी गंभीर महामारी से अपने इस देश को कैसे बाहर निकालना है और किन तरीकों से फिर से नई ऊंचाइयों पर पहुंचाना है, इसका कार्य हम काउंसिल के सभी लोग साथ मिलकर करेंगे.

इन सब बातों के साथ आज काउंसिल के दूसरे स्थापना दिवस पर मैं आप सभी को हर वक्त मेरे नेतृत्व पर भरोसा जताने के लिए, मुझे अध्यक्ष के रूप में सदैव स्वीकार करने के लिए और काउंसिल के कामों को सुदृढ़ तरीके से संकल्पयुक्त होकर संपूर्ण करने के लिए आप सभी को धन्यवाद देता हूं. मैं यह भरोसा करता हूं कि आने वाले वक्त में भी हम सब ऐसे ही मिल-जुलकर एक दूसरे का विकास करते हुए अपने अपने लक्ष्य को प्राप्त करेंगे.

आज के इस अवसर पर मैं उन लोगों को भी धन्यवाद देता हूं जो काउंसिल में सदस्य के रूप में मौजूद तो नहीं है लेकिन पिछले 2 वर्षों में उन्होंने हमारी हर संभव और कठिन से कठिन समय में एक बहुत बड़ी मदद की है.

हम आपको भरोसा दिलाते हैं कि हम ऐसे ही निरंतर सकारात्मक कार्य करते रहेंगे.

जय हिंद! जय भारत! जय लोकतंत्र!

(विक्रांत निर्मला सिंह काउंसिल के संस्थापक एवं अध्यक्ष है)

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