कैसा है प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना का रिपोर्ट कार्ड?

‌विश्व की सबसे तेज गति से बढ़ती हुई अर्थव्यस्थाओं में से एक, 8.2 % (अनुमानित) की वर्तमान विकास दर के साथ भारत वैश्विक पटल पर अपनी एक अलग जगह बना रहा है । भारत क्रयशक्ति समानता के आधार पर विश्व की तीसरी सबसे बड़ी एवं मानक मूल्यों (सांकेतिक) के आधार पर छ्ठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है । आंकड़े काफी लुभावने है पर गौरतलब है कि भारत की मौजूदा स्तिथि केवल इन आंकड़ों से साफ़ नही हो जाती। करीब 125 करोड़ की जनसंख्या वाले इस महाशक्ति के कुछ अन्य पहलु भी है जो खासा चिंतित करते है ।

श्रीलंका की कुल सकल घरेलू उत्पाद से लगभग दोगुना अगर अंको में देखे तो लगभग 10 लाख करोड़ की गैर निष्पादित संपत्तियां उन बैंकिंग व्यवस्था के लिए सिर – दर्द बन चुकी है जो किसी भी अर्थव्यस्था की रीढ़ मानी जाती है । एक और आंकड़े की बात करे तो हर साल 13 करोड़ से ज्यादा भारतीय काम करने की उम्र में प्रवेश तो करते है पर यदि हम अपनी सारी प्रशिक्षण क्षमताओं को जोड़ कर देखे तो हमारी प्रशिक्षित करने की क्षमता 3 करोड़ प्रति वर्ष की ही है , तो ये बाकी के 10 करोड़ की बड़ी संख्या खासा परेशान करने वाली है ।

इन्हीं परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए युवाओं में कौशल विकास के लिए “प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना” को मार्च 2015 को लॉन्च किया गया । प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत टेलरिंग,इलेक्ट्रिक फिटर, हेल्थ वर्कर जैसे 225 किस्मों के हुनर को प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की गयी । देश भर में केंद्र खोले गए और योजना की 1 वर्ष की सफलता को देखते हुए सरकार ने 2016 में 12000 करोड़ रुपये की मंजूरी दी और 2020 तक 1 करोड़ युवाओं को प्रशिक्षित करने के साथ कुछ वित्तिय मदद करने का भी लक्ष्य रखा गया। साथ ही साथ इन केंद्रों से प्रशिक्षित को उद्यमिता ऋण देने के लिए बैंकों को खासे निर्देश भी दिए गए जिनमे मुद्रा योजना के तहत 10 लाख देने की भी बात की गयी ।

अगर इस योजना को धरातल पर सही तरीके से उतार लिया जाए तो ये कई मर्ज की दवा बन सकती है। बेरोजगारी आज चरम पर है । उन युवाओं के हुनर को इस योजना के जरिये तराशकर उन्हें रोजगार ढूंढने के बजाय रोजगार सृजनकर्ता बन सकते है। इस योजना की जिम्मेदारी नेशनल स्किल डेवलपमेंट कारपोरेशन नामक गैर लाभकारी संस्था पर है। और नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉउंसिल ने योजना के क्रियान्वयन में पारदर्शिता सेक्टर स्किल कॉउंसिल और क्वालिटी कंट्रोल ऑफ़ इंडिया के जरिये लाने की कोशिश कर रही है ।

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना में शार्ट टर्म ट्रेनिंग (STT) और रिकग्निशन ऑफ़ प्रायर लर्निंग (RPL) के तहत लोगों को जोड़ने का प्रयास कर रही है । STT में जहां लोगों को ट्रेनिंग देकर हुनरमंद मनाने की बात की गयी वहीँ RPL में उन्हें डिग्री दी गयी जिनके पास हुनर तो था पर डिग्री के आभाव में काम नही कर पा रहे थे । STT के तहत 22,79,726 लोगों का पंजीकरण हो चुका है उनमें से 22,39,104 प्रशिक्षण पूर्ण कर चुके है और परीक्षा 18,10,066 लोगों ने उतीर्ण की । जहां 17,12,629 लोग सर्टिफाइड हुए हैं वहीं 7,59,512 को रोजगार मिला । यह एक बड़ी उपलब्धि है। पर अब प्लेसमेंट नहीं मिलने की वजह से कई प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के केंद्रों के बंद होने की बात सामने आ रही है । कहीं लोगों को बस कागजों पर ही हुनरमंद बनाया जा रहा तो कहीं वे हुनरमंद हो के भी उन्हें काम नही मिल पा रहा।

अविनाश कुमार
सदस्य
‌फाइनेंस एंड इकॉनोमिक थिंक कॉउंसिल
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय


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