भारत सिर्फ कोरोना से नहीं,बल्कि विभिन्न चुनौतियों से भरे चक्रव्यूह से घिरा है।क्या मंदी के मुहाने पर खड़ी भारतीय अर्थव्यवस्था,इस महामारी के अप्रत्याशित झटके को सहन कर पाएगी?
महामारी के साथ-साथ असंगठित क्षेत्र,अंतरराष्ट्रीय बाजार,राजकोष,लघु व्यापारी से लेकर देश के अस्थायी बेरोजगार सरकार से लगातार कठिन सवाल पूछ रहे हैं।
इन संकट के बादलों के मध्य उम्मीद की किरण लेकर आ रहा है,देश के प्रतिष्ठित अखबार “The Economic Times” में संकलित परिषद के मुख्य सलाहकार आदरणीय विपिन विहारी राम त्रिपाठी जी द्वारा सृजित उत्कृष्ट लेख,जो देश में कोनों में बिखरी आर्थिक चुनौतियों को केन्द्रित कर नई आशा के दीप जला रही है।
उपयुक्त लेख से संबंधित सभी सकारात्मक सुझाव एवं प्रगतिशील आलोचनाएँ सदैव आमंत्रित है।🙏
निशित निकुंज,
सदस्य
वित्त एवं आर्थिक चिंतन परिषद