काशी बदल रहा है.
लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से लेकर वाराणसी शहर तक का रास्ता किसी विश्वस्तरीय सड़क मार्ग का उदाहरण बन चुका है. इस मंडुवाडीह स्टेशन आधुनिक रेलवे स्टेशन का एक नया मॉडल बनकर तैयार है, खंभों के सहारे इधर-उधर लटकते बिजली के तारों को अब भूमिगत किया जा चुका है. शहर में गैस पाइपलाइन के जरिए घरेलू गैस सप्लाई की तैयारी पूरी होने के कगार पर है, माँ गंगा के घाट पहले से ज्यादा खूबसूरत दिखते हैं. सैलानियों के साथ-साथ स्थानीय नागरिकों को भी पसंद आ रहे हैं. विश्वनाथ मंदिर के संकरी गलियों को एक खूबसूरत कॉरिडोर के रूप में बनाया जा रहा है. वाराणसी को एक्सप्रेसवे और हाईवे के जरिए अन्य राज्यों से और बड़े शहरों से जोड़ा जा रहा है. वाराणसी के इस अभूतपूर्व बदलाव के ध्वजवाहक बने हैं हमारे देश के प्रधानमंत्री और वाराणसी के सांसद श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी जी.
इस बदलते काशी के बीच में अब गांवों ने भी अपनी भूमिका तय करनी शुरू कर दी है. ग्रामीण विकास के नए मॉडल के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के जरिए सांसद आदर्श ग्राम योजना के अंतर्गत गोद लिए गए गांव जयापुर और नागेपुर सामने आ रहें हैं. केंद्र की सत्ता में आने के बाद से मोदी सरकार ने “सांसद आदर्श ग्राम योजना” की शुरुआत 11 अक्टूबर 2014 को किया था, इस योजना के अंतर्गत देश के सभी सांसदों को वर्ष में एक गांव का चुनाव कर वहां विकास के कार्य करने थे. अभी तक तकरीबन 700 से अधिक सांसदों ने इस योजना के अंतर्गत गांव को गोद लिया है. इसी क्रम में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने भी जयापुर गांव को पहले सांसद आदर्श ग्राम के रूप में गोद लिया था. जयापुर गांव के बाद सांसद आदर्श ग्राम के रूप में प्रधानमंत्री जी ने नागेपुर गांव का चयन किया था. जनगणना 2011 के अनुसार नागेपुर की कुल आबादी 2800 है, जिनमें महिलाओं की आबादी 1304(46.6%) है, तो वहीं जयापुर गांव की कुल आबादी 4200 है.

जयापुर और नागेपुर गांव में बदलते विकास के पैमानों को देखने और जांचने के लिए हाल ही में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रों ने “फाइनेंस एंड इकोनॉमिक्स थिंक काउंसिल” के तत्वाधान में इन दोनों गांवों का दौरा कर सर्वेक्षण का कार्य किया. काउंसिल के सदस्यों ने इन दोनों गांवों में हुए विकास के कार्यों को परखने के लिए के लिए कुछ पैरामीटर निर्धारित किए थे. निर्धारित किए गए पैमानों में मुख्यतः शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण, वित्तीय समावेशन, कृषि प्रशिक्षण एवं पैदावार, स्वच्छता, आवास योजना, उज्जवला योजना, प्रधानमंत्री जन धन योजना और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को रखा गया.

प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में इन दोनों ही गांव में अभूतपूर्व कार्य हुआ है. यहां के आगनबाडी केंद्र बड़े प्राइवेट प्ले स्कूलों से कहीं अधिक बेहतर दिखते हैं. नागेपुर और जयापुर गांव के आंगनवाड़ी केंद्र अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ-साथ डिजिटल तरीके से 3 से 6 वर्ष के बीच के बच्चों एवं बच्चियों को प्रारंभिक शिक्षा प्रदान कर रहे हैं, दोनों ही गांवों के आंगनबाड़ी केंद्र पर बच्चों की संख्या 50 से अधिक है. सुव्यवस्थित क्लासरूम, लिखने और पढ़ने के लिए विभिन्न संसाधनों की उपलब्धता, पेयजल के लिए आगनवाड़ी केंद्र वाटर फिल्टर की व्यवस्था, सौर ऊर्जा के जरिए आगनबाडी केंद्र को संचालित करने की व्यवस्था और प्रशिक्षित आंगनवाड़ी शिक्षिकाओं के जरिए शिक्षा व्यवस्था इन दोनों आंगनबाड़ी केंद्रों को एक विशेष केंद्र बनाती है. स्वच्छता के पैमाने पर दोनों आंगनवाड़ी केंद्र शत प्रतिशत सही नजर आते हैं. इन दोनों ही आंगनबाड़ी केंद्रों का निर्माण सीएसआर फंड के जरिए हुआ है. वेदांता ग्रुप और IL&FS ने इन पर कार्य किया है.
आगनवाड़ी केंद्र ,नागेपुर
जयापुर और नागेपुर गांव के प्राथमिक विद्यालयों पर सोलर वाटर पंप की व्यवस्था की गई है. विद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों को स्मार्ट क्लासेज के जरिए शिक्षा प्रदान की जा रही है. वहां के छात्र टेबलेट की जरिए पढ़ाई कर रहे हैं. स्मार्ट क्लास की व्यवस्था ‘यूनियन बैंक आफ इंडिया’ और बेंगलुरु की एक गैर सरकारी संस्था ‘क्रेया’ ने मिलकर चालू किया है.
छात्रों के अंदर अध्ययन को लेकर रुचि पैदा करने के लिए विद्यालय में एक अच्छी लाइब्रेरी की व्यवस्था की गई है. प्राथमिक विद्यालय के लाइब्रेरी को “रूम टू रीड” नाम के एक गैर सरकारी संस्थान के जरिए चलाया जा रहा है. लाइब्रेरी में छात्रों के अंदर किताबों को पढ़ने की जिज्ञासा को बढ़ावा दिया जा रहा है. स्कूल शिक्षिका के जरिए पता चला कि विद्यालय के छात्रों के साथ मिलकर ‘पुस्तकालय बाल प्रबंधन समिति’का भी निर्माण किया गया है. 1 महीने में सबसे अधिक किताब पढ़ने वाले छात्र को पुरस्कृत भी किया जाता है. कमजोर छात्रों को अच्छी शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त ट्यूशन की व्यवस्था की गई है. ‘नन्ही कली’ नाम के एक गैर सरकारी संस्था के जरिए छात्रों को प्रतिदिन 2 घंटे अतिरिक्त ट्यूशन की व्यवस्था की गई है, छात्रों के अंदर बोलने की शैली को विकसित करने के लिए स्कूल में युवा संसद की भी व्यवस्था की गई है.
लाइब्रेरी, आंगनवाड़ी केंद्र जयापुर
शिक्षिका के जरिए पता चला की इन प्रयासों के चलते विद्यालय में छात्रों की संख्या बढ़कर 200 से अधिक हो चुकी है. गांव के लोग भी सरकार के जरिए प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में किए गए कार्यों से काफी खुश थे और प्रधानमंत्री जी की तारीफ करते पाए गए.
दोनों ही गांव स्वच्छता के पैमाने पर सही पाए गए. दोनों ही गांवों को शौच मुक्त गांव किया जा चुका है. गांव की हर घर में शौचालय का निर्माण हो चुका है. नागेपुर गांव में गांव में जैविक खाद संयंत्र की व्यवस्था, कूड़ेदान की व्यवस्था, सामुदायिक शौचालय की व्यवस्था की गई है. गांव के लोगों के जरिए पता चला कि विभिन्न संस्थाओं के जरिए गांव में स्वच्छता को लेकर जागरूकता के कार्यक्रम कराए गए हैं. गांव के लोग अब गांव को स्वच्छ और सुंदर बनाने की जिम्मेदारी खुद की मानते हैं.
जयापुर गांव में सोलर पावर प्लांट लगाए गए हैं, गांव में सोलर पावर प्लांट के जरिए 8 घंटे की बिजली आपूर्ति की जा रही है. साथ ही साथ दोनों ही गांवों में सौर ऊर्जा से संचालित स्ट्रीट लाइटों की व्यवस्था की गई है. गांव का हर सरकारी भवन सौर ऊर्जा के जरिए संचालित हो रहा है.
शिक्षिका से बातचीत करते हुए कॉउन्सिल सदस्य।
जयापुर गांव में महिलाओं के लिए स्वरोजगार के रूप में हैंडलूम की व्यवस्था की गई है. महिलाओं को सूत कातने के प्रशिक्षण के लिए प्रशिक्षण केंद्र की व्यवस्था की गई है, प्रशिक्षण केंद्र पर 25 सोलर हैंडलूम्स की व्यवस्था की गई है. प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद गांव की महिलाएं अपने खाली समय में कन्या विद्यालय के भवन में चल रहे बुनाई केंद्र पर उपस्थित होकर सूत कातने का कार्य करती है. केंद्र पर हाथ से चलने वाली 25 मशीनों की व्यवस्था की गई है और साथ ही साथ सौर ऊर्जा से चलने वाली मशीनों की भी व्यवस्था की गई है. केंद्र की संचालिका के जरिए हमें पता चला कि बनाए गए धागे के एक बंडल का कुल ₹5.5 भुगतान किया जाता है, महिलाएं 1 दिन में औसतन 15 से 20 बंडल बना लेती है. उनके अनुसार महिलाएं खाली समय में केंद्र पर कार्य कर ₹2500 से लेकर ₹4000 तक की मासिक आमदनी अर्जित कर रही है.
सूत काटती महिला,जयापुर
आवास के क्षेत्र में भी इन दोनों गांव में तेजी से कार्य हो रहा है. गांव के हर आवास विहीन व्यक्ति को आवास उपलब्ध कराया जा रहा है. जयापुर गांव में रहने वाले 14 मुसहर परिवारों के लिए एक मॉडल के रूप में आवास व्यवस्था विकसित की गई है. यह आवास आधुनिक आवास की हर सुविधा को पूर्ण करते हुए दिखते हैं. आवासों को सोलर ऊर्जा के जरिए ऊर्जा प्रदान की जा रही है. वाटर सप्लाई की व्यवस्था की गई है. बिजली की व्यवस्था की गई है. आवासों के सामने एक खूबसूरत बगीचे की व्यवस्था की गई है. 14 गरीब मुसहर परिवारों ने कहा कि हमारे अव्यवस्थित जीवन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने बदल दिया है. मुसहर लोगों के लिए बने इन नए आवासों को संयुक्त रूप से अटल नगर के नाम से जाना जाता है.
जयापुर स्थित अटल नगर|
गांव के किसान प्रधानमंत्री श्री मोदी जी के जरिए कृषि क्षेत्र में उठाए जा रहे कदमों से प्रसन्न तो थे पर संतुष्टि नहीं जाहिर कर पा रहे थे. जयापुर गांव में किसानों के लिए क्रय केंद्र की व्यवस्था की गई है तो वहीं नागेपुर गांव में पंजाब नेशनल बैंक की मदद से कृषि प्रशिक्षण केंद्र की व्यवस्था की गई है. काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान संस्थान की तरफ से भी वहां किसानों को प्रशिक्षित किया जा रहा है.
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लेकर गांव में अभी उतनी दिलचस्पी नहीं दिखी. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा माफ किए गए कृषि कर्ज को लेकर किसानों में प्रसन्नता थी. किसानों को अभी भी कृषि आय मेंं बढ़ोतरी को लेकर खुशी नहीं थी. नागेपुर गांव के निवासी पंचम पटेल ने बताया कि हमें नए तरीके की कृषि प्रणाली के बारे में जानकारी तो प्राप्त हो रही है, लेकिन अभी हमारी आय में अपेक्षित बढ़ोतरी नहीं हुई है.
किसानों से बातचीत करते हुए काउंसिल सदस्य।
दोनों ही गांवों में प्रधानमंत्री जन धन योजना के अंतर्गत बड़े पैमाने पर बैंक खाते खुले हैं. दोनों ही गांव में हर परिवार में बैंक खाता मौजूद है. गांव के निकट बैंकों के खुल जाने से इन खातों का उपयोग भी हो रहा है. प्रत्यक्ष लाभ स्थानांतरण वाली योजनाओं का लाभ बैंक खातों के खुल जाने से गांव के निवासियों को मिल रहा है. जयापुर गांव में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और सिंडीकेट बैंक ने अपनी शाखा खोली है.
दोनों ही गांव में दो प्रमुख समस्याएं निकल कर सामने आई, पहली समस्या के रूप में गांव में स्वास्थ्य क्षेत्र में संतोषजनक कार्य नहीं हुआ है. जयापुर गांव में प्राथमिक उपचार केंद्र के रूप में एक भवन बनकर तैयार है लेकिन अभी वह क्रियाशील नहीं है. नागेपुर के लोग अपने गांव में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण चाहते हैं. गांव के लोगों के अनुसार विषम स्वास्थ्य परिस्थितियों में गांव के लोगों को 8 किलोमीटर दूर भिखारीपुर स्वास्थ्य केंद्र पर जाना पड़ता है.
नागेपुर में स्थित कचरे का डिब्बा|
दूसरी समस्या के रूप में रोजगार के अवसरों में कमी निकल कर सामने आई. दोनों ही गांवों में लोगों को कौशल प्रशिक्षण तो मिला है, लेकिन अभी भी वह रोजगार से दूर है. अभी भी नागेपुर गांव की एक बड़ी आबादी गांव से निकलकर वाराणसी शहर तक दैनिक मजदूरी पर कार्य करने जा रही है. ग्रामीणों के अनुसार गांव के आस-पास में ही रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने चाहिए.
काउंसिल’ के संस्थापक एवं अध्यक्ष विक्रांत सिंह, प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम नागेपुर के प्राथमिक विद्यालय के विजिटर बुक में गांव के विकास के संदर्भ में टिप्पणी लिखते हुए|
दोनों गांव के निष्कर्ष कि हम बात करें तो एक तथ्य लिखा जा सकता है कि जयापुर एक विकसित गांव के रूप में सामने आया है तो वहीं नागेपुर अभी विकासशील गांव है, जहां कार्य तेजी से हो रहे हैं. इन दोनों गांवों ने सांसद आदर्श ग्राम योजना की बुनियादी सफलता को प्रदर्शित किया है, परंतु साथ ही साथ अन्य सांसद जनप्रतिनिधियों के सामने एक बड़ा प्रश्न खड़ा कर दिया है. क्या हर जनप्रतिनिधि इस योजना के अंतर्गत गोद लिए गांव में नागेपुर और जयापुर जैसे ही विकास के कार्य कर रहे है? केंद्रीय मंत्रियों के जरिए भी गोद लिए गांव की स्थिति अपेक्षित परिणाम नहीं दे पा रही है. तो क्या यह उनकी विफलता नहीं मानी जानी चाहिए?
सांसद आदर्श ग्राम योजना की सफलता प्रधानमंत्री के जरिए लिए गए गांवों के आधार पर नहीं की जा सकती है. अन्य जनप्रतिनिधियों को भी गांव को गोद लेकर वहां तेजी से विकास के कार्यों को करना होगा. तब जाकर कहीं गांव का देश भारत विकास की मुख्य भूमिका में हर वर्ग, हर क्षेत्र और हर तबके को ला सकेगा.
नोट- फाइनेंस एंड इकोनॉमिक्स थिंक काउंसिल की सर्वेक्षण टीम में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्र विक्रांत सिंह, आनंद मिश्रा, अखिल पांडे, मोलू सिंह और श्रेयांशु यादव मौजूद थे|
लेखक- विक्रांत सिंह
संस्थापक एवं अध्यक्ष
फाइनेंस एंड इकोनॉमिक्स थिंक काउंसिल
काशी हिंदू विश्वविद्यालय|
Nice