बढ़ते वायु प्रदूषण, बढ़ती समस्याएं!

बीते दिनों केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central pollution control board) द्वारा वायु प्रदूषण को लेकर जारी की गई रिपोर्ट में प्रदेश का गाजियाबाद शहर 478 AQI के साथ देश में सर्वोच्च स्थान पर रहा तो वह सर्वाधिक प्रदूषित शहरों की लिस्ट में टॉप 10 में 8 शहर यूपी के अंतर्गत आते हैं जो क्रमशः गाजियाबाद(478) बागपत(461) नोएडा(450) ग्रेटर नोएडा(438) हापुड़(435) मेरठ(430) बुलंदशहर(430) तथा मुजफ्फरपुर(428) है. यह आंकड़े अपने आप में एक भयावह दृश्य को बयां करते हैं. यूपी सरकार के द्वारा वायु प्रदूषण के नियंत्रण को लेकर उठाए गए कदमों पर यह रिपोर्ट एक बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड(CPCB) द्वारा देशभर में किए गए इस सर्वेक्षण को एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) के द्वारा निर्धारित किया गया हैसर्वप्रथम हम AQI को समझते हैं. भारत में उपयोग होने वाली वायु गुणवत्ता सूचकांक द्वारा हवा में उपस्थित जहरीली गैसों जैसे कार्बन डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड आदि का माप कर AQI बताता है कि वायु में किस गैसों की मात्रा कितनी है तथा यह सुनिश्चित किया जाता है कि यह विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) द्वारा निर्धारित सीमा के अनुकूल है या नहीं है.

AQI में वायु की स्थितियों को कुल छह हिस्सों में बांट कर देखते हैं क्रमशः अच्छी(0-51), संतोषजनक(51-100), थोड़ा प्रदूषित(101-150), खराब(151-200), बहुत खराब(201-300) और गंभीर(301-500) है. जैसे-जैसे वायु की गुणवत्ता खराब होती जाती है वैसे वैसे इस निर्धारित किए गए तालिका में आ जाते हैं. पिछले हफ्ते बीते दीपावली के दौरान अत्यधिक मात्रा में प्रयोग हुए हानिकारक गैसों से भरपूर पटाखे तथा फुलझड़ियां एवं परिवहन में प्रयोग में लाए गए चार पहिया वाहनों एवं दुपहिया वाहनों के हानिकारक गैसों के कारण स्थिति और भयावह हो गई है तो वहीं पड़ोसी राज्य हरियाणा में हुए पराली के चलते भी हवा की गुणवत्ता पर असर देखा जा सकता है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी सूचकांक को संज्ञान में लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बैठक को आमंत्रित किया तथा इस परेशानी को कम करने एवं खत्म करने के लिए जरूरी कदम उठाए, उन्होंने सभी जिलों के मजिस्ट्रेट को तत्कालीन उपयुक्त कदम उठाने के निर्देश दिए हैं तथा इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए सुझाव और जरूरी कदम उठाने का निर्देश दिया है. परंतु कहीं ना कहीं इसमें हमारा भी अहम योगदान बनता है कि हम अपने वातावरण को स्वच्छ रखें हम अपने वातावरण को स्वस्थ रखें क्योंकि स्वस्थ वातावरण में रहने से हम अनेक प्रकार की बीमारियों से भी बच सकते हैं अन्यथा इन जहरीली गैसों से होने वाली खतरनाक बीमारियां जैसे फेफड़े की समस्या, अस्थमा, नाक की समस्या, सांस लेने में परेशानी आदि बीमारियां हमें आसानी से अपनी गिरफ्त में ले सकती हैं. इन समस्याओं को कम करने के लिए हम कुछ कदम उठा सकते हैं, जैसे कि n95 स्टैंडर्ड मास्क का प्रयोग, अधिक से अधिक संख्या में पौधों को लगाना तथा घर में बगीचे बनाने पर ज्यादा जोर देना, पराली को जलाने को पूर्णतया बंद करना, पटाखों पर पूरी तरह से सरकार को बैन लगा देना चाहिए. नववर्ष वर्ष की रात्रि किसी भी शुभ अवसर पर तथा दिवाली पर पटाखों को पूरी तरह से बैन लगा देना चाहिए अन्यथा यह अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने के समान है. हमें सरकार के ऊपर या दबाव बनाना चाहिए कि पर्यावरण की सुरक्षा को इस समय सबसे ज्यादा महत्व देना होगा तथा इस परेशानी से निपटने के लिए जरूरी क़दम जल्द से जल्द उठाने चाहिएयह हमारा कर्तव्य बनता है कि हम अधिक से अधिक संख्या में वृक्षारोपण करें तथा मोटरसाइकिल एवं चार पहिया वाहनों का आवश्यकता अनुसार इस्तेमाल करें एक समझदार एवं कर्तव्य पूर्ण नागरिक बन ना केवल अपने राज्य को इस गंभीर समस्या से मुक्त करें बल्कि देश में भी इस समस्या से निपटने अहम योगदान दे.

लेखक - अमूल्य रत्न तिवारी 
छात्र - काशी हिंदू विश्वविद्यालय
सदस्य - फइनेंस एंड इकोनॉमिक्स थिंक काउंसिल.

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