
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में कई जीवंत और प्रशंसात्मक विचारों की पहल की और उनसे संबंधित कार्यक्रम भी लेकर आए। जन-धन योजना, कौशल भारत मिशन, भारत स्वच्छता अभियान आदि उनमें से कुछ प्रमुख उदाहरण हैं। इसी कड़ी में 16, जनवरी 2016 को उनके द्वारा शुरू की गई महत्वाकांक्षी योजना स्टार्टअप इंडिया थी। योजना के पीछे उनका इरादा एक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना तथा प्रयोगधर्मी मस्तिष्क को स्वस्थ वातावरण प्रदान करना था, जो अभिनव विचारों को बढ़ावा दे सके। इसका एक लक्ष्य नई पीढ़ी के नवाचारों से समाज के बेहद जटिल समस्याओं को हल करने का है।
यह योजना देश में स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने का भी इरादा रखती है, जो देश के सतत विकास में सहायता करेगा। आर्थिक सहायता के रूप में भारत सरकार ने स्टार्टअप्स को फंड देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में वित्त मंत्री ने देश में स्टार्टअप निवेश को बढ़ावा देने के लिए कर कटौती के विस्तार की घोषणा की है। बजट में पेड अप शेयर कैपिटल और टर्नओवर की पाबंदी को एक व्यक्ति कंपनियों के लिए कंपनी अधिनियम, 2013 से हटा दिया गया है। पूर्व में 50 लाख रुपये के पेड अप शेयर कैपिटल और 2 करोड़ रुपये के औसत वार्षिक कारोबार मुख्य रूप से आपेक्षित था, जिसे अब 2 करोड़ और 50 करोड़ कर दिया गया है।
इस कदम से 2 लाख से अधिक कंपनियों को फायदा होगा। ओपीसी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसकी पहचान उसके मालिक से अलग है और इसलिए मालिक पर मुकदमा नहीं चलेगा अर्थात केवल कंपनी पर ही मुक़दमा दर्ज़ होगा। एक अन्य लाभ सीमित देयता (लिमिटेड लायबिलिटी) है, जहां शेयरधारकों और निदेशकों की व्यक्तिगत संपत्ति डिफ़ॉल्ट के मामले में संरक्षित रहती है। एक एकल स्वामित्व के विपरीत, ओपीसीसी इक्विटी फंडिंग बढ़ा सकते हैं और सरकारी योजनाओं के लिए पात्र हैं।
स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने एक नई योजना शुरू की है जिसका नाम ‘स्टार्टअप इंडिया सीड फंड’ है। इस योजना के अन्तर्गत टियर 1 और टियर 2 शहरों के अंदर आने वाले स्टार्टअप्स जिनको सीड फंडिंग प्राप्त करने में समस्यायों का सामना करना पड़ रहा है, उन्हे सहायता दी जाएगी। इसके लिए सरकार ने 945 करोड़ आवंटित किए हैं। यह योजना अगले 4 वर्षों में 300 इनक्यूबेटर के माध्यम से अनुमानित 3,600 उद्यमियों को लाभान्वित करेगी। DPIIT द्वारा गठित एक विशेषज्ञ सलाहकार समिति (EAC) योजना के समग्र निष्पादन और निगरानी के लिए जिम्मेदार होगी और समिति द्वारा चयनित पात्र इनक्यूबेटरों को 5 करोड़ रुपये अनुदान के रूप मे प्रदान किए जाएंगे। चयनित इनक्यूबेटर्स 20 लाख रुपये तक का अनुदान, अवधारणा या प्रोटोटाइप विकास या उत्पाद परीक्षणों के प्रमाण के सत्यापन के लिए प्रदान कर सकते हैं। यह योजना टियर 2 और 3 क्षेत्रों में एक मजबूत स्टार्टअप इकोसिस्टम बनाने में मदद करेगा, क्योंकि भारत में छोटे शहरों को अक्सर धन मुहैया नहीं कराया जाता है।
भारत सरकार के द्वारा उठाए गए इन कदमों से न तो सिर्फ स्टार्टअप को अपने प्रगतिशील विचारों को नया आयाम देने में सहायता मिलेगी बल्कि इससे रोजगार में वृद्धि भी होगी। जिसके फलस्वरूप देश के आर्थिक विकास में सहायता मिलेगी। इतना ही नहीं, इस महामारी के दौर में सरकार के द्वारा उठाए गए इन कदमों से व्यापार में प्रतियोगिता बनी रहेगी।
ऐसा नहीं है कि सिर्फ भारत सरकार ही इन छोटे उद्योगों की सहायता करने का प्रयत्न कर रही है। इसके विपरीत कई स्टार्टअप भी हैं जो कि कामयाबी को छू चुके और इस महामारी में भारत की मदद करने की कोशिश कर रहे हैं। अपनी स्वयं की क्षमताओं, ताकत और नेटवर्क के अनुसार आज भारतीय स्टार्टअप्स नागरिकों और रोगियों को महामारी से निपटने में हर संभव मदद कर रहे हैं।
ओयो इंडिया स्वास्थ्यकर्मियों, अधिकारियों, आवश्यक श्रमिकों या COVID-19 रोगियों के रिश्तेदारों को अस्पताल के पास सुरक्षित और किफायती आवास मुहैया करवा रही है। ह्यूमन ऑफ बॉम्बे कोविड रोगियों की मदद करने के लिए 3 करोड़ रुपये जुटाकर ऑक्सीजन की सप्लाई बढ़ान में सहायता कर रही है। खालसा एड ने ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर की खरीद के लिए क्राउडफंडिंग के माध्यम से 3 दिनों में 1 करोड़ एकत्रित किए हैं। ऐसे कई स्टार्टअप अपने अपने स्तर पर इस संकट की स्थिति में सरकार और आम जनता के साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़े हैं।
लेखक : आशुतोष कुमार यादव
सदस्य
फाइनेंस एंड इकोनॉमिक्स थिंक काउंसिल
शोधार्थी – महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी, बिहार