केंद्र सरकार ने एक जुलाई 2017 को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू किया था. यह अप्रत्यक्ष करों की एकीकृत व्यवस्था है. इसने भारतीय अर्थव्यवस्था में 17 से अधिक अलग–अलग तरह के अप्रत्यक्ष करों को समाप्त किया है. ये सभी जीएसटी में शामिल हो गए हैं. सरकार ने इसे ऐतिहासिक करार दिया था. एक देश–एक टैक्स के मकसद को पूरा करने के लिए सरकार ने इस दिशा में कदम बढ़ाए थे.
जीएसटी व्यवस्था के आने से भारतीय अर्थव्यवस्था में बड़े बदलाव देखने को मिले हैं. इसके लागू होने के बाद अर्थव्यवस्था में तमाम उतार–चढ़ाव भी आए. इस नर्इ व्यवस्था को शुरू हुए अब एक साल से अधिक का समय हो चुका है.
वित्त मंत्रालय ने हाल में एक रिपोर्ट जारी की. इसमें सरकार ने बताया कि जीएसटी से 31 जुलाई, 2018 तक एक लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा गया था. इसकी तुलना में कुल 96,483 करोड़ रुपये का कुल जीएसटी राजस्व अर्जित किया गया है. इसमें 15,877 करोड़ केंद्रीय जीएसटी, 22,293 करोड़ राज्य जीएसटी, 49,951 करोड़ एकीकृत जीएसटी (जिसमें 24,852 करोड़ रुपये आयात से) और 8,362 करोड़ रुपये उपकर से प्राप्त हुए हैं.
इन आंकड़ों का विश्लेषण करने पर दो प्रमुख बातें साफ होती हैं.
पहला, जून 2018 में जीएसटी से कुल आय 95,610 करोड़ से बढ़कर जुलाई, 2018 में 96,483 करोड़ रुपये हो गर्इ है. यह जीएसटी परिषद की ओर से निर्धारित लक्ष्य एक लाख करोड़ से तकरीबन 3,517 करोड़ रुपये कम है. इसके अतिरिक्त केंद्र सरकार ने अप्रैल–मई 2018 में राज्यों को 3,899 करोड़ रुपये जीएसटी क्षतिपूर्ति के रूप में दिए हैं.
अप्रत्यक्ष कर संग्रह अगर लक्ष्य से कम रहता है तो उसे एक चुनौती के रूप में देखा जाता है. कारण है कि भारतीय अर्थव्यवस्था श्रम बहुल है. संगठित और असंगठित क्षेत्र में बड़ा अंतर है. देश में कुल श्रम बल का 8 फीसदी हिस्सा ही संगठित क्षेत्र में काम करता है. बाकी का 92 फीसदी हिस्सा असंगठित क्षेत्र में है. इसलिए जब भी अप्रत्यक्ष कर संग्रह में कमी आती है तो कर संग्रह लक्ष्य को पूरा करने का दबाव संगठित क्षेत्र के लोगों पर ही आ जाता है.
दूसरा, आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि जून 2018 में जीएसटीआर 3B रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या 64.69 लाख से बढ़कर 66 लाख हो गर्इ है. ये आंकड़े आने वाले समय में अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण से सकारात्मक संदेश देते हैं. साथ ही साफ करते हैं कि भविष्य में अप्रत्यक्ष कर संग्रह बढ़ेगा.
21 जुलाई 2018 को वित्त मंत्री पीयूष गोयल (कार्यवाहक) की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की 28वीं बैठक हुर्इ. इसमें काउंसिल ने टेलीविजन, फ्रिज, कारपेट जैसे तमाम उत्पादों पर जीएसटी दर काफी कम की है. जबकि राखी,सैनिटेरी नैपकीन, झाड़ू जैसे उत्पादों को करमुक्त कर दिया है. इससे हो सकता है कि आने वाले एक–दो महीने में अप्रत्यक्ष कर संग्रह थोड़ा कम हो, लेकिन जनता के लिहाज से यह निर्णय काफी महत्वपूर्ण है.
वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने राज्यसभा में बताया कि जीएसटी के आने से बीते वित्त वर्ष में प्रभावी निगरानी के चलते लगभग 3,026 करोड़ रुपये की कर चोरी पकड़ी गर्इ है. इसके अलावा करीब 1,078.7 करोड़ के अवैध स्वर्ण आभूषण भी जब्त किए गए हैं.
समन्वय और पारदर्शिता सहित जीएसटी के कर्इ पहलू हैं जिन्हें देखकर कहा जा सकता है कि अब वे दिन दूर नहीं जब भारतीय अर्थव्यवस्था अभी 2.5 लाख करोड़ डॉलर से बढ़कर 5 लाख करोड़ डॉलर वाली अर्थव्यवस्था में बदल जाएगी.
अभी हाल में ही कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने जीएसटी में संरचनात्मक स्तर पर बदलाव का सुझाव दिया है. ऐसी खबरें भी हैं कि जीएसटी के टैक्स स्लैब में बड़ा बदलाव किया जा सकता. वर्तमान में चल रहे 28 फीसदी वाले जीएसटी स्लैब को हटाकर 12 फीसदी और 18 फीसदी वाले टैक्स स्लैब को मिलाकर एक नया स्लैब बनाया जा सकता है. अगर सरकार यह निर्णय लेती है तो जीएसटी की एक टैक्स वाली मूल भावना के निकट पहुंचा जा सकता है.