देश की आजादी के 70 वर्षों बाद भी जनसंख्या का बड़ा हिस्सा अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा से बाहर है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उपेक्षित वर्ग को मुख्यधारा में लाने के लिए 8 अप्रैल 2015 को प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की शुरुआत की थी. इसके तहत लोगों को खुद का रोजगार शुरू करने के लिए 10 लाख रुपये तक का कर्ज आसान शर्तों पर दिया जाता है.मुद्रा योजना के लिए अलग वित्तीय संस्थान है, जिसका मुख्यालय मुंबई में है. इससे वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिला है. व्यावसायिक बैंक, सहकारी बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, सूक्ष्म वित्त संस्थान (एमएफआई) और एनबीएफसी जरिए मुद्रा योजना के तहत लोन दिया जा रहा है. राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय (सांख्यिकी मंत्रालय ) के सर्वेक्षण-2018 के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था मे लगभग 5.77 करोड़ लघु व्यवसायिक इकाइयां हैं, जिनमे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 12 करोड़ लोग कार्यरत हैं. इन लोगों को मुद्रा योजना से मदद मिल रही है.
योजना के तीन प्रमुख घटक
प्रारम्भिक दौर में मुद्रा योजना ने भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) की सहायता से सेवा की शुरुआत की थी. इसकी प्रारंभिक पूँजी ₹200 अरब और क्रेडिट गारंटी कोष ₹30 अरब का था. भविष्य के संभावित अवसरों और योजना की सफलता को देखते हुए सरकार ने इसमें ₹1 ट्रिलियन का अतिरिक्त निवेश किया गया है. मुद्रा योजना के अंतर्गत तीन प्रमुख घटकों को सम्मलित किया गया है.पहला है–शिशु. इसके अंतर्गत सरकार नए उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लक्ष्य से ₹50,000 तक का ऋण कम ब्याज एवं आसान नियम और शर्तों पर उपलब्ध कराती हैं. दूसरा है–किशोर. इसके अंतर्गत सरकार उद्यमियों को अपने व्यापार की उत्तरजीविता और विकास के अवसर तलाश करने के लिए आसान क़िस्तों पर ₹50,000 से ₹5,00,000 तक की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराती है.तीसरा घटक है–तरुण. सरकार इसके अंतर्गत सूक्ष्म व्यापारियों, साझेदार फर्म और स्वयं सहायता समूह को बहुआयामी संवृद्धि के लिए ₹5,00,000 से ₹10,00,000 तक का ऋण उपलब्ध कराती है.
3.5 करोड़ नौकरियों का सृजन
सरकार ने इस योजना को राष्ट्रीय स्तर पर सफल बनाने के लिए फ्लिपकार्ट, मेक माई ट्रिप, पतंजलि, मेरु कैब, जोमाटो, ओला,अमूल, अमेज़न जैसी प्रतिष्ठित कंपनियों के साथ समझौता किया है. नीति आयोग के उपाध्यक्ष श्री राजीव कुमार ने स्वीकार किया है कि अर्थव्यवस्था मे लगभग 3.5 करोड़ नौकरियों का सृजन मुद्रा योजना की कामयाबी के जरिए हुआ है. सरकार ने इस योजना के केंद्र मे महिलाओं, दलितों और अल्पसंख्यको को रखा है.
बढ़े अप्रत्यक्ष रोजगार के असवर
मुद्रा योजना वास्तव में देश की अर्थव्यवस्था में सूक्ष्म वित्त और पुनर्वित्त उपलब्ध कराने का काम कर रही है. इस योजना के जरिए छोटे–मोटे कारोबार में लगे असंगठित क्षेत्र के लोग इससे विशेष रूप से लाभान्वित हो रहें हैं. भारत जैसी पूंजी के आभाव वाली अर्थव्यवस्था में मुद्रा योजना एक विशेष अवसर पैदा कर रहीं है, जिससे अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं.
