भारत में क्रूज़ पर्यटन एक उभरता क्षेत्र: पर्यटन की नई परिकल्पना

“आज की आधुनिक दुनिया क्रूज़ पर्यटन (क्रूज़ टूरिज्म) की ओर तेजी से बढ़ रही है, और भारत इसके लिए सबसे उपयुक्त गंतव्य बन सकता था। क्योंकि, भारत के पास समुद्र के साथ नदियों का एक ऐसा विस्तृत तंत्र है, जो घने जंगलों, ऊँचे पहाड़ों, विस्तृत मैदानों और विविध प्राकृतिक भू-दृश्यों के बीच से होकर बहता है। ज़रा कल्पना कीजिए, किसी पर्यटक के लिए यह कितना अनूठा और अद्वितीय अनुभव होगा—नदी के बहते जल में यात्रा करते हुए हर मोड़ पर प्रकृति के नए रूपों का साक्षात्कार करना। इसीलिए, आज भारत में “क्रूज़ टूरिज्म” जैसे नवाचारों की अपार संभावनाएँ मौजूद हैं।“-लेखक: विक्रांत निर्मला सिंह, शोधार्थी, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान राउरकेला।

भारत केवल तीन ओर से समुद्र से घिरा हुआ देश नहीं है, बल्कि इसके हर हिस्से में एक विशाल और समृद्ध नदी तंत्र फैला हुआ है, जो भारत को दुनिया के अन्य देशों से अलग और विशिष्ट बनाता है। लेकिन यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमने अब तक इस अमूल्य संसाधन का उपयोग एक बड़े पर्यटन मॉडल के रूप में नहीं किया। यदि हम चाहते, तो आज भारत को विश्व का सबसे बड़ा “वॉटर टूरिज्म हब” बना चुके होते। आज की आधुनिक दुनिया क्रूज़ पर्यटन (क्रूज़ टूरिज्म) की ओर तेजी से बढ़ रही है, और भारत इसके लिए सबसे उपयुक्त गंतव्य बन सकता था। क्योंकि, भारत के पास समुद्र के साथ नदियों का एक ऐसा विस्तृत तंत्र है, जो घने जंगलों, ऊँचे पहाड़ों, विस्तृत मैदानों और विविध प्राकृतिक भू-दृश्यों के बीच से होकर बहता है। ज़रा कल्पना कीजिए, किसी पर्यटक के लिए यह कितना अनूठा और अद्वितीय अनुभव होगा—नदी के बहते जल में यात्रा करते हुए हर मोड़ पर प्रकृति के नए रूपों का साक्षात्कार करना। इसीलिए, आज भारत में “क्रूज़ टूरिज्म” जैसे नवाचारों की अपार संभावनाएँ मौजूद हैं। आवश्यकता केवल इस अवसर को पहचानने और उसे साकार करने की है।

आज भारत में क्रूज़ पर्यटन एक शक्तिशाली नए अध्याय के रूप में उभर रहा है। वर्तमान सरकार भी इसकी आर्थिक और सांस्कृतिक क्षमता को समझते हुए इस दिशा में सक्रियता से कार्य कर रही है। क्रूज़ पर्यटन केवल एक विलासितापूर्ण यात्रा का माध्यम नहीं है; यह एक समावेशी, टिकाऊ और सुलभ पर्यटन मॉडल के रूप में विकसित हो रहा है। भारत इस क्षेत्र में एक वैश्विक केंद्र बन सकता है, क्योंकि हमारे पास 7,500 किलोमीटर लंबा समुद्री तट, 12 प्रमुख और 200 से अधिक छोटे बंदरगाह, तथा लगभग 400 नदियों को जोड़ने वाले 20,000 किलोमीटर लंबे जलमार्गों का एक विशाल और अद्वितीय नेटवर्क है। आजादी के इतने वर्षों बाद पहली बार, मोदी सरकार के केंद्रित और दूरदर्शी दृष्टिकोण के तहत इस छुपे हुए खजाने को खोलने और विश्वस्तरीय क्रूज़ पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए गंभीर और संरचित प्रयास किए जा रहे हैं।

भारत की पहली क्रूज सेवा मुंबई से गोवा

क्रूज़ भारत मिशन: पर्यटन क्रांति की नई परिकल्पना

30 सितंबर 2024 को शुरू किया गया क्रूज़ भारत मिशन भारत की नई समुद्री कल्पनाओं को हकीकत में बदलने की दिशा में एक साहसिक कदम है। यह मिशन सिर्फ पर्यटन बढ़ाने की योजना नहीं है, बल्कि देश की नदियों और तटीय इलाकों में बसे लाखों लोगों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आया है। सरकार का लक्ष्य है कि 2029 तक देश में क्रूज़ यात्रियों की संख्या दोगुनी हो जाए और 5,000 किलोमीटर से अधिक जलमार्गों पर 1.5 मिलियन से भी अधिक लोग क्रूज़ पर्यटन का आनंद लें। इस प्रयास की खूबी यह है कि यह एक मजबूत अंतर-मंत्रालयी ढांचे से जुड़ा हुआ है—जहाँ सीमा शुल्क, आव्रजन, सीआईएसएफ, राज्य पर्यटन विभाग और स्थानीय प्रशासन मिलकर इसे धरातल पर उतार रहे हैं। इसका असर सिर्फ पर्यटन तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इससे छोटे व्यवसायों को सहारा मिलेगा, स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा और नदी किनारे बसे गांवों में आर्थिक हलचल बढ़ेगी।

समुद्री भारत विजन 2030: समंदर से सजे भारत के सपने की ओर

समुद्री भारत विजन (MIV) 2030 एक ऐसा रोडमैप है जो भारत को समुद्री पर्यटन के वैश्विक नक्शे पर मजबूती से स्थापित करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। यह सिर्फ एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि भारत के समुद्री इतिहास और उसके उज्जवल भविष्य के बीच एक भावनात्मक सेतु है। इस विजन के तहत, सरकार ने तय किया है कि अगले दशक में भारत को क्रूज़ पर्यटन का एक प्रमुख केंद्र बनाया जाएगा। इस दिशा में जो ठोस कदम उठाए गए हैं, वे न केवल प्रशंसनीय हैं बल्कि ऐतिहासिक भी हैं। क्रूज़ जहाजों के लिए प्राथमिकता बर्थिंग की व्यवस्था, विदेशी जहाजों के लिए कैबोटेज कानूनों में छूट, तर्कसंगत पोर्ट शुल्क, और ई-वीज़ा व सिंगल ई-लैंडिंग कार्ड जैसी सुविधाओं ने न केवल नौकरशाही जटिलताओं को कम किया है, बल्कि भारत को ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस’ और ‘ईज़ ऑफ ट्रैवल’ के वैश्विक मानकों पर लाकर खड़ा कर दिया है।

देश के सबसे लम्बे रिवर क्रूज़. वाराणसी (Varanasi) से डिब्रूगढ़ (Dibrugarh) तक.

नदी क्रूज़ पुनर्जागरण: भारत की आत्मा की धारा पर भविष्य की ओर

नदी क्रूज़ पुनर्जागरण न केवल भारत की नदियों को यात्री मार्गों में बदलने का प्रयास है, बल्कि यह उस अंतर्मन यात्रा का आमंत्रण है, जो हमें भारत की गहराई से जोड़ती है। भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) के नेतृत्व में गंगा, ब्रह्मपुत्र, झेलम और चेनाब जैसे जीवनदायिनी जलमार्ग अब पुनर्जीवित हो रहे हैं—सिर्फ नावों के लिए नहीं, बल्कि संस्कृतियों, कहानियों और सपनों के प्रवाह के लिए।

2023 में लॉन्च किया गया एमवी गंगा विलास, जो वाराणसी से डिब्रूगढ़, न केवल दुनिया का सबसे लंबा नदी क्रूज़ है, बल्कि यह भारत की नवोन्मेषी क्षमताओं और सांस्कृतिक सौंदर्य का जीवंत उदाहरण बन गया है। इसने न केवल अंतरराष्ट्रीय सुर्खियाँ बटोरीं बल्कि लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना स्थान भी दर्ज कराया। इस बदलाव की गति केवल यात्रा तक सीमित नहीं है। दिल्ली, जम्मू और कश्मीर, गुजरात और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों के साथ पर्यावरण-अनुकूल क्रूज़ पर्यटन के लिए हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन यह दर्शाते हैं कि यह एक समर्पित राष्ट्रीय प्रयास बन चुका है। इसके साथ ही ₹45,000 करोड़ की निवेश घोषणा, जो पहली अंतर्देशीय जलमार्ग विकास परिषद की बैठक में की गई, यह संकेत है कि 2047 तक भारत में क्रूज़ टर्मिनल और जल यातायात का एक व्यापक और टिकाऊ नेटवर्क तैयार हो जाएगा।

वैश्विक परिप्रेक्ष्य में क्रूज़ पर्यटन

दुनिया भर में क्रूज़ पर्यटन केवल समुद्री यात्रा का आनंद नहीं है, बल्कि यह अर्थव्यवस्था, रोजगार और क्षेत्रीय विकास का एक मजबूत इंजन बन चुका है। तटरेखा से सजी और समुंदर से जुड़ी अर्थव्यवस्थाओं के लिए यह एक ऐसा अवसर है जो हजारों नौकरियों के साथ-साथ अरबों डॉलर के राजस्व की संभावनाएँ लेकर आता है। कैरेबियाई क्षेत्र इसका सबसे ज्वलंत उदाहरण है। 2023-2024 के क्रूज़ वर्ष में इस क्षेत्र ने $4.27 बिलियन का प्रत्यक्ष व्यय आकर्षित किया, जिससे 94,000 से अधिक नौकरियाँ और $1.27 बिलियन की मजदूरी आय सृजित हुई। यहाँ एक औसत ट्रांजिट क्रूज़ कॉल, जिसमें 4,000 यात्री और 1,640 चालक दल के सदस्य होते हैं, अकेले लगभग $369,100 का व्यय उत्पन्न कर सकता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि छोटे द्वीपीय देशों के लिए क्रूज़ पर्यटन न केवल विदेशी मुद्रा अर्जन का स्रोत है, बल्कि स्थानीय व्यवसायों, हस्तशिल्प, संस्कृति और सेवा क्षेत्र को भी जीवन देता है।

अमेरिका, विशेषकर फ्लोरिडा के पोर्ट्स, 2019 में क्रूज़ उद्योग से $55 बिलियन का योगदान और 436,000 नौकरियाँ प्रदान कर चुका है। यात्रियों का खर्च स्थानीय हॉस्पिटैलिटी और रिटेल व्यवसायों को बड़ा लाभ देता है। यूरोप, खासकर बार्सिलोना, वेनिस और साउथेम्प्टन जैसे बंदरगाहों के ज़रिए, 2022 में €56.4 बिलियन का आर्थिक उत्पादन और 3.7 लाख नौकरियों का सृजन हुआ। इसके अलावा यूरोपीय शिपयार्ड भी वैश्विक क्रूज़ जहाज निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाते हैं। वहीं चीन में क्रूज़ पर्यटन उद्योग अब तेज़ी से बढ़ रहा है। वहां न केवल बंदरगाह बुनियादी ढांचे और टर्मिनलों में भारी निवेश हो रहा है, बल्कि चीन घरेलू स्तर पर बड़े क्रूज़ जहाज भी बना रहा है। आज चीन 2030 तक दुनिया का सबसे बड़ा क्रूज़ बाजार बनने की ओर अग्रसर है।

इन वैश्विक उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि जहाँ सशक्त बंदरगाह व्यवस्था, रणनीतिक नीति समर्थन और पर्यटक-अनुकूल सुविधाएं होती हैं, वहाँ क्रूज़ पर्यटन आर्थिक पुनरुत्थान का साधन बन जाता है। भारत के लिए भी यह एक महत्त्वपूर्ण सबक है—कि यदि रणनीतिक रूप से क्रूज़ पर्यटन को विकसित किया जाए, तो यह न केवल तटीय और नदी किनारे के समुदायों को समृद्ध करेगा, बल्कि देश को एक वैश्विक समुद्री पर्यटन शक्ति में भी परिवर्तित कर सकता है।


नदी क्रूज़ पर्यटन 2047: चार स्तंभों पर बनेगा समृद्ध भविष्य

भारत में नदी क्रूज़ पर्यटन अब एक नई दिशा प्राप्त कर रहा है, जहाँ इसे केवल एक विलासितापूर्ण अनुभव नहीं बल्कि एक समावेशी, सुलभ और आर्थिक रूप से सक्षम पर्यटन मॉडल के रूप में देखा जा रहा है। रोडमैप 2047 इसी सोच को दिशा देता है, जिसका आधार चार मज़बूत स्तंभ हैं—बुनियादी ढांचा, एकीकरण, पहुंच और नीति । देश के 30 से अधिक पर्यटन सर्किट पहले ही चिन्हित किए जा चुके हैं, जो यह संकेत देते हैं कि आने वाले समय में भारत की नदियाँ न केवल यातायात का मार्ग होंगी, बल्कि विकास और संस्कृति की धाराएं भी बनेंगी।

इस परिवर्तन के लिए हमें सबसे पहले विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे का निर्माण करना होगा—जहाँ आधुनिक सुविधाओं वाले क्रूज़ टर्मिनल, मरीना और छोटे-बड़े पोर्ट्स विकसित किए जाएँ, ताकि सभी आकार के क्रूज़ जहाजों को समायोजित किया जा सके। इन बंदरगाहों से शहरों और पर्यटन स्थलों तक सड़क, रेल और वायु मार्गों की निर्बाध कनेक्टिविटी सुनिश्चित करना उतना ही जरूरी है, जिससे पर्यटक सहजता से अपने गंतव्यों तक पहुंच सकें। इसके साथ ही, स्थानीय परिवहन नेटवर्क को भी सुदृढ़ करना होगा, ताकि आस-पास के ग्रामीण व सांस्कृतिक क्षेत्रों को जोड़ा जा सके। नियामकीय ढांचे में सुधार की दिशा में ई-वीजा और सिंगल ई-लैंडिंग कार्ड जैसे कदम स्वागतयोग्य हैं, लेकिन इन्हें और सरल, पारदर्शी और क्रूज़ ऑपरेटरों के अनुकूल बनाना होगा। यह प्रयास न केवल समय की बचत करेगा, बल्कि विदेशी क्रूज़ कंपनियों का भरोसा भी बढ़ाएगा।

केरल बैकवाटर्स

भारत के विविध जलमार्गों—जैसे गंगा, ब्रह्मपुत्र, केरल के बैकवाटर्स, और द्वीपीय क्षेत्र (लक्षद्वीप और अंडमान) में क्रूज़ सर्किट तैयार कर सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, प्राकृतिक और साहसिक पर्यटन के अनुभवों को समेटना चाहिए। इन सभी प्रयासों को सशक्त बनाने के लिए प्रभावी विपणन (मार्केटिंग) और वैश्विक प्रचार अभियानों की ज़रूरत है, जिससे भारत को एक आकर्षक क्रूज़ डेस्टिनेशन के रूप में पेश किया जा सके।

भारत के जलमार्गों को विश्वस्तरीय क्रूज़ पर्यटन केंद्रों में बदलने का सपना आज हकीकत का रूप लेता दिख रहा है। यह संभव हो रहा है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, जिन्होंने परंपरा और आधुनिकता को साधने का दुर्लभ सामंजस्य प्रस्तुत किया है। केरल के शांत बैकवाटर्स से लेकर गंगा और ब्रह्मपुत्र की पवित्र और प्रबल धाराओं तक, हर नदी अब संभावनाओं की लहर बन गई है। क्रूज़ पर्यटन को केंद्र में रखकर बनाई गई परिवर्तनकारी नीतियाँ, रणनीतिक निवेश, और समावेशी दृष्टिकोण केवल बंदरगाहों को ही नहीं, बल्कि लोगों, संस्कृतियों और अर्थव्यवस्थाओं को जोड़ने का कार्य कर रहे हैं। यह एक ऐसी यात्रा है, जो भारत की शाश्वत विरासत, जीवंत विविधता और नवाचार शक्ति को वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठा दिलाने के मार्ग पर चल रही है। ‘विकसित भारत 2047’ का स्वप्न अब समंदर की लहरों पर सवार होकर आगे बढ़ रहा है।

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