
हर व्यक्ति की यही कामना होती है कि वह किसी पर निर्भर न रहे, उन्हें किसी भी चीज़ का मोहताज न होना पड़े परंतु असल ज़िंदगी मे यह असंभव है। इस भौतिक जगत में व्यवहारिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो “आत्मनिर्भरता” की भी “निर्भरताएँ ” होती है। जैसे, जन्म के कुछ वर्ष तक बच्चों का माता- पिता पर निर्भरता तथा बुढ़ापे में माता- पिता का अपने बच्चों पर निर्भरता, नौकरी की तो संस्थान पर एवं संस्थान की आप पर निर्भरता, भोजन के लिए किसान पर निर्भरता इत्यादि कई उदाहरण है जिससे जाहिर होता है कि सामाजिक, शारीरिक, आर्थिक और सांसारिक ज़रूरतों की पूर्ति हेतु पूर्ण “आत्म-निर्भरता” संभव नहीं है।
इसी संदर्भ में महान दार्शनिक अरस्तु ने कहा था “मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है” अर्थात मनुष्य “आत्मनिर्भरता” का नही बल्कि ” परस्परता” का पालन करता है। वास्तव मे परस्परता ही समाज की संरचना का आधार है, अतः व्यक्ति के बजाए देश के रूप देखा जाए तो सामाजिक परस्परता देश को आत्मनिर्भर बनाने में सहायक हो सकती है।
किसी देश के लिए आत्मनिर्भर होना कितना आवश्यक है यह “कोरोना महामारी” ने सबको सिखा दिया है। इस बात को ध्यान में रखते हुए इस आपदा को अवसर में बदलने हेतु माननीय प्रधानमंत्री ने 12 मई, 2020 को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन मे बीस लाख करोड़ रुपए की योजना का ऐलान किया, जिसका लक्ष्य 21वीं सदी मे भारत का ” पुनर्निर्माण और पुनरुत्थान” है। देश को आत्मनिर्भर बनाने के संकल्प के साथ उन्होंने रणनीतिक महत्वकांक्षाओं भरे “आत्मनिर्भर भारत अभियान” का एलान कर दिया।

प्रधानमंत्री ने भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए 5 – स्तंभ पर ध्यान देने को कहा:-
1) अर्थव्यवस्था :- जो वृद्धिशील परिवर्तन के स्थान पर उछाल पर आधारित हो।
2) अवसंरचना:- ऐसी सशक्त अवसंरचना जो आधुनिक भारत की पहचान बने।
3) प्रौद्योगिकी:– ऐसी व्यवस्था निर्माण हो जो 21वीं सदी के सतत सपनों को पूरा करने वाली तकनीक से चलती हो।
4) गतिशील जनसांख्यिकी:-विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र मे हमारी जीवंत डेमोग्राफी ही हमारी अतिरिक्त ताकत है और आत्मनिर्भर भारत के लिए ऊर्जा का स्रोत है।
5) माँग (डिमांड):- हमारी अर्थव्यवस्था में माँग और आपूर्ति का चक्र वह ताकत है, जिसे पूरी क्षमता तक पहुंचाने की ज़रूरत है। देश में डिमांड बढ़ाने के लिए और इस डिमांड को पूरा करने के लिए हमारी सप्लाई चैन के हर एक पक्ष को सशक्त बनाने की ज़रूरत है।
आत्मनिर्भर भारत अभियान का उद्देश्य 130 करोड़ भारतवासियों को सशक्त बनाना है ताकि देश का हर नागरिक संकट की इस घड़ी मे कदम से कदम मिलाकर चल सके। इस अभियान मे स्थानीय विनिर्माण की ज़रूरत पर खासा जोर दिया गया है। प्रधानमंत्री ने लोकल को केवल ज़रूरत नहीं जिम्मेदारी भी बताया। उन्होंने कहा “जो ग्लोबल ब्रांड आज आप देखते हैं कभी वे बेहद स्थानीय स्तर के थे। इसलिए आज से हर भारतीय को अपने लोकल के लिए वोकल बनना होगा। स्थानीय उत्पादों को केवल खरीदना ही नही बल्कि गर्व से उन्हें बढ़ावा भी देना होगा।” ज़रूरत है कि देश मे ऐसे उत्पाद बने जो “मेड इन इंडिया” हो और “मेड फॉर द वर्ल्ड” हो।

प्रधानमंत्री का आत्मनिर्भर भारत अभियान, भारत को दुनिया से अलग करना नहीं है, क्योंकि यह वह संस्कॄति है जो विश्व कल्याण में विश्वास रखती है और वसुधैव कूटुम्बकम इसकी आत्मा है। भारत की प्रगति दुनिया से जुड़ी है और एक सशक्त राष्ट्र के तौर पर भारत विश्व की समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका सुनिश्चित करेगा। इस अभियान का उद्देश्य है कि। अपनी बढ़ती आबादी को वरदान मानकर सबके सहयोग से एक नये भारत की संरचना करें।
देश में कोरोना महामारी से लॉकडाउन के कारण नाई की दुकानें, मोची, पान की दूकानें व कपड़े धोने की दूकानें, रेहड़ी-पटरी वालों की आजीविका पर सबसे ज्यादा असर पड़ा। इस समस्या से लड़ने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत प्रधानमंत्री ने एक नई योजना “पीएम स्वनिधि” की घोषणा की है। इस योजना के तहत रेहड़ी पटरी वालो को सरकार द्वारा 10000 रूपये का लोन दिया जायेगा जो कि अस्थायी विक्रेताओं को अपना काम फिर से शुरू करने मे सक्षम बनायेगा।
महामारी की मार के बीच सरकार ने 20 लाख करोड़ के भारी भड़कंप आर्थिक पैकैज से भारत को आत्मनिर्भर बनाने की ओर एक बड़ा कदम उठाया है। इस पैकेज में लैंड (भूमि), लेबर (मजदूर), लिक्विडिटी (तरलता या नकदी) और लॉ (कानून) पर जोर दिया गया है।”
इसके अतिरिक्त ये पैकैज जहाँ एक तरफ़ 12 करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार उपलब्ध करने वाले एमएसएमई कारोबार को बढ़ावा देगा, वहीं खेती से जुड़ी समूची आपूर्ति श्रृंखला में मदद मिलेगी।

भारत के लिए एक और अवसर
पिछले कुछ दिनों से चीन और भारत के बीच हुए बॉर्डर तनाव को लेकर भारतवासियों के अंदर आक्रोश उत्पन्न हो गया है, जिस वजह से सब लोग मिलकर चीन से आये हुए तमाम वस्तुओं का बहिष्कार करते दिखाई दे रहे रहे हैं। अगर इस आक्रोश को सही दिशा दी जाए तो ये भारत को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण मोड़ दे सकता है।

दरअसल में भारत वर्तमान में चीन से करीब 70 बिलियन डॉलर का सामान आयात करता है और बदले में मात्र 14.7 बिलियन डॉलर का सामान निर्यात करता है। इसके कारण भारत को हर वर्ष अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक घाटा सहना पड़ता है। अब इस अंतर को कम करना अत्यंत आवश्यक है।
हाल ही में भारत सरकार ने चीन के 59 एप्स को भारत की संप्रभुता और अखंडता पर ख़तरा मानते हुए निषेध कर दिया है। चूँकि इन एप्स ने भारत में एक अच्छा बाज़ार तैयार किया है इसलिए यह भारतीय युवाओं के लिए एक अवसर है कि वह “आत्मनिर्भर भारत अभियान” के तहत स्टार्ट-अप के रूप में इन एप्स के स्वदेशी विकल्प बन सकते हैं।
कोरोनावायरस संकट ने मजबूत, विश्वास भरे और मिलकर काम करने वाले भारत के पुनर्निर्माण का जो मौका दिया है, उसे गंवाना नहीं चाहिये। भारत इस आपदा को अवसर में बदल कर वैश्विक पटल पर अपनी अमिट छाप बना सकता है।