कितना संभव है चीन की वस्तुओं का बहिष्कार ?

लेखक- तारिक सिद्दीक़ी

एशिया महाद्वीप में सामरिक, राजनीतिक व आर्थिक दृष्टकोण से दो देश समूचे विश्व के लिए महत्वपूर्ण हैं, भारत और चीन। दशकों की गुलामी के बाद पचास के दशक में आजाद हुए ये देश आज एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में लगे हुए है।
पिछले कुछ वर्षों में चीन ने भारत की सीमा पर तनाव बढ़ाने का दुस्साहस किया है जिसका भारत सरकार ने सैन्य व कूटनीतिक तरीकों से मुंहतोड़ जवाब दिया है। परन्तु इस प्रचण्ड राष्ट्रवाद के दौर में भारतीय नागरिकों द्वारा चीन को सबक सिखाने हेतु चीनी वस्तुओं के बहिष्कार की बात उठती रही है जो की इस वैश्वीकरण के दौर में सोचने पर विवश करती है। क्या यह संभव है? आइ एक बार आंकड़ों में समझते है ये कितना संभव है।

चीन और भारत दुनिया की दो उभरती हुई अर्थवयवस्था है। चीन नॉमिनल जीडीपी के आधार पर दुनिया में दूसरे स्थान पर आता है तो वहीं भारत पांचवे स्थान पर। अगर पीपीपी (परचेसिंग पावर पैरिटी) के आधार पर बात करे तो चीन विश्व में पहले स्थान पर काबिज है और भारत तीसरे स्थान पर।

भारत चीन द्विपक्षीय व्यापार

मर्चेंडाइज व्यापार में भारत चीन को हर साल $331 बिलियन का उत्पाद निर्यात करता है तो वहीं $507.4 बिलियन का उत्पाद आयात करता है। इस प्रकार से भारत को चीन से मर्चेंडाइज व्यापार में $176.6 बिलियन का व्यापारिक घाटा उठाना पड़ता है। परन्तु (Service trade) सेवा व्यापार में भारत को $80.3 बिलियन का व्यापारिक मुनाफा होता है क्योंकि भारत का चीन को निर्यात $205.8 Billion का है और आयात $125.5 Billion का जो की भारतीय व्यापारिक दृष्टिकोण से काफी महत्वूर्ण है।

प्रमुख भारतीय कंपनियों में चीनी कंपनियों का पूंजीगत निवेश।

बीते कुछ सालों में भारतीय कंपनियों में चीनी निवेश काफी बढ़ा है और खासकर से ऑनलाइन बिजनेस करने वाले कॉपानियो में।

आयात-निर्यात और भारतीय कंपनियों में चीनी निवेश के अलावा भी एक महत्वपूर्ण बिंदु है। वह यह है कि भारत का दुनिया के अनेक व्यापारिक संगठनों का सदस्य होना। भारत विश्व व्यापार संगठन, शंघाई सहयोग संगठन, सार्क, बिंबस्टेक आदि का सदस्य है जो की वैश्विक व्यापार की वकालत करते है। अतः आधिकारिक तौर से भारत चीनी वस्तुओं पे पूर्णयता रोक नहीं लगा सकता। साथ ही भारत को ये भी ध्यान रखना होगा की भारत का मैनुफैक्चरिंग सेक्टर चीन जितना मजबूत नहीं है, जो की अपनी उत्पादन क्षमता एकाएक शीर्ष पे ले जा सके।

भावनाए अपनी जगह है और यथार्थ अपनी जगह..! भारत के पास अभी चीन के वस्तुओं का बहिष्कार करना इतना आसान नहीं होगा।

हां अगर आम नागरिक राष्ट्र भावना को ध्यान में रख कर स्वयं स्वदेशी वस्तुओं को अपना लें, जिससे चीनी आयातित वस्तुओं की मांग में कमी आ जाएगी तब आसानी से चीनी आयात को घटाने में मदद मिलेगी। आखरी विकल्प यही है की स्वदेशी वस्तुओं का इस्तेमाल करें और अपनी अर्थवयवस्था को मजबूत बनाए।

(लेखक वाणिज्य संकाय, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्र है)

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