आत्मनिर्भर भारत: उम्मीद एवं चुनौतियां

Writer–Shivani Mishra

15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए एक अभियान की शुरुआत की थी, जिसका नाम है आत्मनिर्भर भारत। भारत के प्रत्येक लोग स्वावलंबी बने और स्वरोजगार के माध्यम से भारत की आर्थिक स्थिति को वैश्विक पटल पर उच्च मानकीय व्यवस्था में  स्थापित करें, आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य है। आत्म निर्भर भारत की का अर्थ विकासशील जीवन निर्वाह के साधनों में वृद्धि करना है। भारत के प्रत्येक लोग स्वावलंबी बने और पूरा भारत स्वरोजगार को बढ़ावा देते हुए आत्मनिर्भर यानी स्वावलंबन की दिशा में अग्रसर हो सके। जहाँ आत्मनिर्भर भारत को अनेक अनेक भाषाओं में अनेक अनेक नामों से संबोधित किया जा रहा है वहीं आत्मनिर्भर भारत कार्ययोजना अपने लक्ष्य में साकार होती भी दिख रही है।

आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य अधिकांश आबादी को रोजगार से जोड़ना तथा उन्हें आर्थिक अनुदान प्रदान करना है। किसी भी केंद्र सरकार की कार्य योजना को लागू करना राज्य सरकार का कर्तव्य है और उसे अपने लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों का उत्तरदायित्व भी है। किसी भी योजना को जब तक समाज गंभीरता से नहीं लेगा तब तक उसे अपने लक्ष्य तक पहुंचने में कठिनाई महसूस होगी। समाज के विभिन्न तरीके के लोग विभिन्न तरीकों से राष्ट्र में अपना सहयोग प्रदान कर रहे हैं, लेकिन आप आत्मनिर्भर भारत कार्य योजना आने से उन्हें एक नया संबल मिल गया है। आत्मनिर्भर भारत के शुरुआती आंकड़े यह बताने के लिए पर्याप्त हैं कि ‘गरीब-गुरबो’ तक कैसे यह योजना अपने अभीष्ट लक्ष्य तय करते हुए  उच्च मानक स्थापित कर रही है। कोविड-19 के अभूतपूर्व स्थिति के बाद भी लगातार भारत की आर्थिक स्थितियाँ सुधारात्मक दिशा की ओर प्रयत्नशील है। विश्व में अन्य देशों के मुकाबले भारत की आर्थिक स्थिति सुधर रही है और सकल घरेलू उत्पाद तथा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में लगातार उन्नति हो रही है।

भारत में जब कोविड-19 का प्रकोप बढ़ा तो सबसे ज्यादा पलायन का दर बढ़ गया। पलायन दो तरीकों से होने लगा। पहला शहरों से गांव की ओर पलायन तथा पुनः काम न मिलने की मजबूरी में शहरों की ओर गांव से पलायन। लॉक डाउन की अभूतपूर्व परिस्थितियों ने सभी को रुलाया जिसमें प्रवासी मजदूर अधिकांश संख्या में बेरोजगार हुए। प्रवासी मजदूर अपने घर तो वापस लौट गए लेकिन उन्हें सुक्ष्म, लघु एवं कुटीर उद्योग तथा कल कारखानों की अनुपस्थिति  ने उन्हें बहुत परेशान किया। लॉक डाउन की परिस्थितियां जब लागू हुईं तो अनेक कल कारखानों तथा बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों में कामगारों की छुट्टियां होने लगी, कई विभाग आर्थिक संकट की वजह से बंद करने पड़े। जब अधिकांश समय तक प्रवासी मजदूरों को अपने गांव में रहना पड़ा तब उन्होंने स्वरोजगार की दिशा में अपना कदम बढ़ाया। ऐसे में यह कहा जाना आश्चर्य नहीं होगा कि आत्मनिर्भर भारत नें आर्थिक मजबूती के साथ-साथ मानसिक शांति भी प्रदान की। कार्ल मार्क्स ने अपनी किताब ‘पूंजी’ में एक जगह लिखते समय इसका जिक्र भी किया कि पूंजी वह जो पूंजी का काम करें। एक पूंजी यानी धन दौलत पैसा। दूसरा उसके लिए काम कर रहें प्रवासी मजदूर।  किसी भी राष्ट्र के लिए अपने अधिकांश आबादी को रोजगार मुहैया कराना एक बहुत बड़ा लक्ष्य होता है। स्वरोजगार,आत्मनिर्भरता का एक माध्यम है। भारत राष्ट्र के वर्तमान प्रसंग में अगर देखें तो इसके आधारभूत संरचना एवं आयात निर्यात प्रणाली के साथ-साथ विदेशी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में भी अच्छी सुधार नजर आ रही है। आत्मनिर्भर भारत की सभी कार्य योजना एवं नीतियां वैश्विक पटल पर एक नए एवं उभरते राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए ग्रामीण तथा शहरी लोगों को रोजगार हेतु तैयार करने में अपना सहयोग भी प्रदान कर रही है। भारत की तकनीकी प्रणाली पूरी दुनिया में एक नया कीर्तिमान स्थापित करने को लेकर उदीयमान है 4G से 5G की यात्रा बहुत तेजी से उभरते हैं राष्ट्र को एक श्रेष्ठ राष्ट्र बनाने की दिशा में लगातार कार्यशील है। पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन पर हो रहे वैश्विक समागम में भारत एक नये रूप में  प्रतिनिधित्व  कर रहा है। आने वाले दिनों में संयुक्त राष्ट्र संघ के स्थाई सदस्य के तौर पर भारत का होना यह साफ जाहिर करता है कि विश्व के अनेक परिस्थितियों भले ही कैसे ही हों पर इस महामारी रूपी आपदा को अवसर में बदलने का कार्य आत्मनिर्भर भारत जैसी कई योजनाएं बखूबी कर रही है। रोजगार की दिशा में अभी भी बहुत कुछ किया जाना शेष है परंतु ‘स्वरोजगार’ की दिशा में आत्मनिर्भर भारत योजना भारत राष्ट्र को एक नई मंजिल पर पहुंचाने में बहुत मदद कर रही है। वह समय दूर नहीं है ,जब पश्चिम के राष्ट्र भी भारत के आत्म निर्भर-भारत ,योजना से कुछ सीखेंगे और उसकी कुछ नीतियां तथा उसखे कुछ अंश अपने यहाँ  लागू करके वैश्विक संदेश प्रदान करेंगे।

(Writer is a Research Scholar at DDU Gorakhpur University and Member at FETC)

Leave a Comment