केंद्र सरकार ने गैर-कानूनी तरीके से जमा योजना चलाने वाली कंपनियों पर शिकंजा कसने की तैयारी कर ली है. इनकी खैर नहीं. भोले-भाले निवेशकों को ठगने वाली इन पोंजी स्कीमों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ‘अनियमित जमा योजना प्रतिबंध विधेयक, 2018’ लाने जा रही है.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2016-17 के बजट में इस तरह के विधेयक का जिक्र किया था. फिर 2017-18 के बजट भाषण में बिल की ड्राफ्टिंग की बात कही.
हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध के विधेयक को मंजूरी दी. यह विधेयक गैर-कानूनी तरीके से योजनाएं चलाकर लोगों के पैसे लूट लेने वाली कंपनियों पर लगाम लगाएगा. वित्तीय गड़बड़ियों के संबंध में सजा का भी प्रवधान करेगा.
क्यों है इसकी जरूरत ?
भारतीय अर्थव्यवस्था में ढेरों उदाहरण हैं, जहां कंपनियां आम लोगों के पैसे को कुछ समय में ही दोगुना करने का लालच देती थीं. जब पैसे लौटाने का समय आता था तो ये कंपनियां भाग जाती थीं.
इस तरह की वित्तीय धोखाधड़ी का असर पूरी अर्थव्यवस्था पर पड़ता है. इसका सबसे ज्यादा नुकसान गरीबों को होता है. केंद्र सरकार अब इन कंपनियों पर शिकंजा कसने की तैयारी में है.
सरकार कानून के जरिये देश में बढ़ रहे इस तरह के गोरखधंधे को पूरी तरह से खत्म करना चाहती है. पोंजी स्कीम वित्तीय अनियमितता का उम्दा उदाहरण हैं जिनमें निवेशकों को लाखों का चूना लगाया जा चुका है.
अभी देश में कोर्इ ऐसा ठोस कानून नहीं है जो वित्तीय धोखाधड़ी को रोकने के साथ दंड का प्रवधान करता हो. इस कानून के आने के बाद ऐसी वित्तीय अनियमितताओं को रोका जा सकता है.
विधेयक में क्या है खास ?
‘अनियमित जमा योजना प्रतिबंध विधेयक, 2018’ जमाकर्ताओं के पैसों को सुरक्षित करने के साथ विशेष अदालतों के गठन का प्रवधान करता है. इस कानून के अनुसार, अगर वित्तीय कंपनियां जमाकर्ताओं या निवेशकों के पैसे वापस नहीं करती हैं तो पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार पर आ जाएगी.
इस विधेयक में राज्य सरकार के पास सक्षम प्राधिकार नियुक्त करने के अधिकार मौजूद हैं. निवेशकों के पैसे वापस न करने की स्थिति में जिम्मेदार कंपनी की पूरी संपत्ति को जब्त करने का अधिकार भी विधेयक में उल्लेखित किया गया है.
सजा का क्या है प्रवधान ?
बिल में तीन तरह के अपराधों का जिक्र करते हुए सजा का प्रवधान किया गया है.
1- अगर कोर्इ कंपनी, व्यक्ति या संस्था गैर-कानूनी जमा योजना शुरू करती है तो प्रथम दृष्टया ही दोषी मानी जाएगी. विधेयक के अनुसार सजा के दायरे में आएगी.
2- अगर कोर्इ कंपनी, व्यक्ति या संस्था अनियमित जमा योजना के जरिये धांधली करते हुए पार्इ जाती है तो अपराध के साथ सजा का भी प्रावधान है.
3- अगर कोर्इ कंपनी, व्यक्ति या संस्था अनियमित जमा योजनाओं को बढ़ावा देती है तो उसे भी अपराधी मानते हुए सजा के दायरे में लाया जाएगा.
जल्द ही सरकार इस विधेयक को सदन में पेश करेगी. उम्मीद है कि इस विधेयक से भारतीय अर्थव्यवस्था में गैर-कानूनी जमा योजनाओं पर अंकुश लगेगा. साथ ही अर्थव्यवस्था में अधिक पारदर्शिता आएगी.
विक्रांत सिंह (संस्थापक एवं अध्यक्ष, फाइनेंस एंड इकोनॉमिक्स थिंक काउन्सिल, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी )